21 अप्रैल से मांगलिक और शुभ कार्यों की शुरुआत होगी, 19 जुलाई तक लगातार चलेगा सिलसिला
इन्दौर। पिछले 14 मार्च से खरमास (Kharmas) शुरू हुआ था खरमास में खर का अर्थ दुष्ट होता है और मास का अर्थ महीना होता है, इसे आप दुष्टमास भी कह सकते हैं। यही वजह है कि खरमास में शादी-विवाह (Marriage), गृह आरंभ, गृह प्रवेश (Home Entrance), मुंडन, नामकरण पर रोक लगी हुई है। मांगलिक कार्य भी शास्त्रानुसार निषेध कहे गए हैं। नवसंवत्सर 13 अप्रैल से शुरू होगा और खरमास की बिदाई भी हो जाएगी।
खरमास गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa) के साथ समाप्त होगा, मगर मान्यता है कि खरमास के दौरान मांगलिक कार्यों पर विराम लगा दिया जाता है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह को सबसे प्रधान ग्रह माना जाता है। यह एक राशि में लगभग एक महीने तक रहता है। सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में जाने को में आने को संक्रांति कहा जाता है। वहीं जब सूर्यदेव देवगुरु बृहस्पति की राशि धनु और मीन आते हैं खरमास लग जाता है। पिछले 14 मार्च को सूर्य (Surya) मीन राशि में प्रवेश कर गया था। अब नए साल लगते ही इसका समापन होगा और 21 अप्रैल से शुभ कार्य शुरु होंगे।
खरमास में यह करना हितकारी
खरमास के दौरान नियमित रूप से सूर्यदेव (Suryadev) की उपासना करनी चाहिए। इससे भगवान सूर्य की कृपा से मान-सम्मान और तरक्की होती है। इस माह दान करना बहुत पुण्यकारी रहता है। इस समय ब्राह्मण, गुरू और साधुओं की सेवा करनी चाहिए। इसके साथ ही इस माह गौमाता की सेवा करना बहुत शुभ फलदायक होता है। शास्त्रों के अनुसार यदि आप खरमास के दौरान भगवान विष्णु की पूजा करते हैं तो आपके घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। इस महीने सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि करके भगवान का ध्यान करना चाहिए और संध्या वंदन के साथ ही भोजन करना चाहिए।
यह करना खरमास में उचित नहीं
खरमास (Kharmas) के दौरान विवाह, गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य न करें। इस माह में देर तक न सोएं, पलंग पर नहीं सोना चाहिए। जमीन पर सोना श्रेष्ठ रहता है। इसके साथ ही किसी को अपशब्द न कहें, वाद-विवाद करने से बचें। असत्य का त्याग करें। अगर आप खरमास के दौरान सात्विकता बनाए रखेंगे और मांस-मदिरा का सेवन से बचेंगे तो निश्चित ही आपके ऊपर प्रभु की कृपा बरसेगी। खरमास में विष्णु का पूजन और अराधना विशेष रुप से की जाती है। वहीं इस माह अनेक भक्त तीर्थों में रहकर प्रतिदिन पवित्र नदियों में स्नान करते है। खरमास (Kharmas) के समापन होने पर निर्धनों को भोजन कराकर घर लौटते है।
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