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    मोदी सरकार के इस फैसले से घबराए सरकारी बैंक, अब उठा लिया है ये बड़ा कदम

  • April 04, 2021

    नई दिल्ली। मोदी सरकार ने चालू वित्त वर्ष (2021-22) के लिए निजीकरण और विनिवेश का बड़ा लक्ष्य रखा है और सरकार हर हाल में इसे पाने की कोशिश में लगी है। इसके अलावा अगले तीन सालों में सरकार असेट मोनेटाइजेशन के जरिए भी 2.5 लाख करोड़ का फंड इकट्ठा करना चाहती है। वित्त वर्ष 2021-22 में 1.75 लाख करोड़ के प्राइवेटाइजेशन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए दो सरकारी बैंकों और एक इंश्योरेंस कंपनी का निजीकरण किया जाएगा। बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया तेज होने के कारण सरकारी बैंकों ने फंड इंकट्ठा करने के लिए अपनी संपत्तियों की बिक्री की रफ्तार को सुस्त कर दिया है।

    टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, वे बैंकों जो पिछले दो सालों में मर्जर प्रक्रिया से बाहर हैं, खासकर उन बैंकों ने असेट मोनेटाइजेशन की रफ्तार को धीमा कर दिया है। इनका मानना है कि अगर ये अपनी संपत्ति की बिक्री नहीं करेंगे तो बाजार में वल्यू ज्यादा मिलेगी। निवेशकों की उन बैंक्स में ज्यादा दिलचस्पी होगी जिनके पास बैंकिंग के अलावा दूसरे बिजनेस भी हैं और अच्छा-खासा असेट्स भी हैं। दरअसल मोदी सरकार के सरकारी बैंकों के निजीकरण के फैसले से सरकारी बैंकों की चिंता बढ़ गई है। सरकारी बैंकों की चिंता का एक बडा कारण यह भी है कि निजीकरण में प्राइवेट बैंक्स ज्यादा रुचि दिखा रही है।

    निजीकरण की लिस्ट में कौन इन और कौन आउट?
    नीति आयोग ने सरकार से कहा है कि वह उन बैंकों को निजीकरण की लिस्ट से बाहर रखे जिनका पिछले दो सालों में मर्जर किया गया है। इस तरह SBI, PNB, बैंक ऑफ बड़ौदा, केनरा बैंक, यूनियन बैंक और इंडियन बैंक निजीकरण वाली लिस्ट से बाहर हो गए हैं। इस समय देश में कुल 12 सरकारी बैंक है। ऐसे में अन्य छह बैंक- बैंक ऑफ महाराष्ट्र, बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब एंड सिंध बैंक और यूको बैंक निजीकरण की रेस में सबसे आगे हैं।

    तीन सालों में असेट मोनेटाइजेशन से 2.5 लाख करोड़ जुटाने का टार्गेट
    असेट मोनेटाइजेशन भी मोदी सरकार के लिए बेहद अहम है। पीएम मोदी ने अगले तीन सालों में असेट मोनेटाइजेशन की मदद से 2।5 लाख करोड़ रुपए का फंड इकट्ठा करने का लक्ष्य रखा है। सरकार लक्ष्य का आधा यानी 1.3 लाख करोड़ रुपए रेलवे और टेलिकॉम सेक्टर में असेट मोनेटाइजेशन से इकट्ठा करना चाहती है। सरकार ने 100 से अधिक ऐसी संपत्ति की पहचान कर ली है जिसकी आने वाले समय में बिक्री की जाएगी।

    रेलवे के असेट मोनेटाइजेशन से आएंगे 90 हजार करोड़ रुपए
    असेट मोनेटाइजेशन को लेकर पीएम मोदी की घोषणा के बाद नीति आयोग इस काम को अंजाम देने में जुट गया है। इसके लिए वह अलग-अलग मंत्रालयों और डिपार्टमेंट से संपर्क साधे हुए है। नीति आयोग ने रेलवे के असेट मोनेटाइजेशन की मदद से 90 हजार करोड़ जुटाने का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा BSNL और MTNL के टेलिफोन टॉवर और ऑप्टिकल फाइबर इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेचकर 40 हजार करोड़ जुटाने का लक्ष्य रखा गया है।

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