भोपाल। दमोह विधानसभा उपचुनााव में नाम वापसी के बाद अब 22 उम्मीदवार मैदान में बचे हैं। यहां मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच में है। दोनों प्रमुख पार्टियों का यहां अपना वोट बैंक है। इसलिए भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशियों का डर है कि चुनाव मैदान में डटे निर्दलीय प्रत्याशियों सहित अन्य उनका खेल न बिगाड़ दे। दमोह विधानसभा के उपचुनाव में 37 अभ्यार्थियों ने नामांकन फार्म जमा किए थे। इनमें से शनिवार को 11 लोगों ने फॉर्म वापस ले लिए और 4 फॉर्म निरस्त हो गए। इस तरह अब 22 कैंडिडेट मैदान में हैं। अब इन्हीं के बीच मुकाबला होना है।
निर्दलीय बिगाड़ेंगे प्रमुख दलों के गणित
राजनीतिक जानकारों के अनुसार इस बार उपचुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार भाजपा प्रत्याशी राहुल सिंह लोधी और कांग्रेस प्रत्याशी अजय टंडन का गणित बिगाड़ सकते हैं। चुनावी मैदान में जो प्रत्याशी जमे हुए हैं उनमें से कुछ निर्दलीय उम्मीदवारों की क्षेत्र में अच्छी पकड़ और पहुंच है। ऐसे में कहा जा सकता है कि इस बार निर्दलीय प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस की जीत का गणित बिगाड़ सकते हैं। उधर, भाजपा और कांग्रेस ने जीत के लिए अपनी ताकत झोंकना शुरू कर दी है। गांव-गांव पहुंचकर मतदाताओं को अपने पक्ष में मतदान करने की अपील की जा रही है।
यह हैं उपचुनाव के 22 प्रत्याशी
जिन 22 प्रत्याशियों को चुनाव लडऩा है उनमें इंडियन नेशनल कांग्रेस से अजय कुमार टंडन, भारतीय जनता पार्टी से राहुल सिंह, भारतीय शक्ति चेतना पार्टी से उमा सिंह लोधी, बुंदेलखंड क्रांति दल से कमलेश असाटी, शिवसेना से राज पाठक उर्फ राजा भैया, सपाक्स पार्टी से रिचा पुरुषोत्तम चौबे हरीओम शामिल हैं। निर्दलीय प्रत्याशियों में इंजीनियर अजय भैया, अकरम उर्फ सोनू खान, अजय भैया ठाकुर, अजय, अमजद खान, आशीष उर्फ सन्यासी, नवाब खान, मगन आदिवासी, मुन्नालाल, राहुल भैयाजी, राहुल भैया, राहुल एस, वैभव सिंह, केएन शुक्ला एडवोकेट, शंकर जाटव शंकर कबाड़ी, मो. रफीक खान शामिल हैं।
वैभव बिगाड़ सकते हैं राहुल का गणित
कांग्रेस से दमोह के विधायक चुने गए राहुल सिंह के इस्तीफे के बाद दमोह में विधानसभा उपचुनाव होने जा रहा है। उन्होंने भाजपा की सदस्यता लेली जिसके बाद भाजपा ने दमोह से उन्हे अपना प्रत्याशी घोषित किया है। इसके पहले इनके एक और चचेरे भाई वर्तमान में बड़ा मलहरा विधायक प्रद्युम्न सिंह ने भी कांग्रेस की सदस्या से इस्तीफा देकर भाजपा की टिकट पर उपचुनाव लड़ा था और जीते थे। इसके पहले जब यह दोनों भाई कांग्रेस से विधायक थे उस समय तक इनके चचेरे भाई वैभव सिंह इनके साथ थे, लेकिन प्रद्युम्न सिंह के कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद वैभव सिंह उनसे नाराज हो गए थे। इसके बाद राहुल सिंह ने भी अपना इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया जिसके बाद वैभव सिंह भी निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में चुनाव लडऩे मैदान में उतर आए। उनके चुनाव लडऩे के कारण लोधी समाज की वोट बट जाएगी और राहुल सिंह को नुकसान हो सकता है। वैभव सिंह ने चुनाव आयोग से अपना चुनाव चिन्ह जूता, चप्पल भी मांगा है ताकि जनता हिसाब कर सके।
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