भोपाल। कोरोना (Corona) का डर केवल दिल की धड़कन बढ़ा ही नहीं रहा बल्कि दिल से उसकी धड़कन छीन भी रहा है। कोरोना संक्रमण (Corona infection) का नकारात्मक असर केवल फेफड़ों पर ही नहीं हुआ बल्कि दिल पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ा है। जब से कोरोना (Corona) ने दस्तक दी है तब से अब तक हार्ट अटेक (Heart Attack) के नए मरीजों की संख्या में भी वृद्धि हुई है और जिन्हें पहले से हृदय (Heart) संबंधित परेशानी थी उनकी समस्या भी बढ़ी है। राजधानी में कोरोना संक्रमितों (Corona infected) में हार्ट अटैक (heart attack) के मामले ज्यादा आ रहे हैं। आज शहर के दो नेताओं की मौत कोरोना संक्रमण (Corona infection) के कारण हुई। भाजपा (BJP) नेता रामकिशोर वर्मा (Ramkishore Verma) और कांग्रेस (Congress)नेता मुकेश पंजाबी (Mukesh Punjabi) पिछले दिनों कोरोना संक्रमित (Corona infection) हो गए थे। जिनका बीती रात निधन हो गया। चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना (Corona) के चलते हार्ट अटेक (Heart Attack) के मामलों में 5 से 7 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है और अगर बात हार्ट फैल्युअर (Heart spreader) के आंकड़ों की करें तो यह संख्या 15 से 20 प्रतिशत (Percent) है। डाक्टर्स (Doctors) की मानें तो इसकी बड़ी वजह यह है कि कोरोना संक्रमण (Corona infection) फेफड़ों पर असर डाल खून के थक्के जमा देता है जिसका असर हृदय पर होता है और खून के गाढ़ा होने से हार्ट अटैक (Heart Attack) जैसी समस्या होती है। इसके अलावा लापरवाही, डर, मनोरोग और बिगड़ी लाइफ स्टाइल भी है।
हृदय की परत पर डालते हैं असर
श्वसनतंत्र विशेषज्ञ डा. गौरव गुप्ता के अनुसार संक्रमण के इस दौर में हार्ट अटैक के नए मामले 5 से 7 प्रतिशत बढ़े हैं। कोरोना संक्रमण से फेफड़े कमजोर होने से हृदय के धड़कने पर भी प्रभाव पड़ा। यह वायरस हृदय की परत पर भी नकारात्मक असर डालता है। यही नहीं फेफड़ों में खून का थक्का जमने से भी हृदय पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि हृदय तक रक्त संचार में परेशानी आती है और हृदय को ऑक्सीजन सही मात्रा में नहीं मिल पाती। जिन्हें पहले से हृदय सबंधित परेशानी थी वे इस दौर में नियमित जांच के लिए भी नहीं गए और स्थितियां बिगड़ी।
पांच से बढ़कर 15 पार हुई मृत्युदर
हृदयरोग विशेषज्ञ डा. भरत रावत के अनुसार हार्ट अटैक से होने वाली मौतों की संख्या जो कोरोना काल से पहले करीब 5 प्रतिशत थी वह बढ़कर अब 15 से 20 प्रतिशत हो गई है। इसकी वजह संक्रमण का से रक्त का गाढा होना तो है ही पर उससे भी बड़ी वजह है कि लोग समय पर उपचार नहीं करा रहे और अस्पताल जाने से कतरा रहे हैं। बड़े अस्पतालों में आने वाले हार्ट अटैक के मरीज कम हुए हैं जबकि छोटे अस्पताल या क्लीनिक में हृदय संबंधित समस्या को लेकर जाने वाले मरीज ज्यादा हैं। इसका परिणाम यह हो रहा है कि सही उपचार मिलने से पहले ही मृत्यु हो रही है।
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