नई दिल्ली। अपनी जरूरत का लगभग 80 फीसदी कच्चा तेल (क्रूड ऑयल) (About 80 percent crude oil (crude oil)) अंतरराष्ट्रीय बाजार (International market) से खरीदने वाले भारत (India) जैसे तेल आयातक देशों के लिए एक अच्छी खबर है। तेल निर्यातक देशों (ओपेक कंट्रीज) और उसके सहयोगी देश अमेरिका और भारत के अनुरोध को ध्यान में रखते हुए मई के महीने से कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने के लिए तैयार हो गए हैं।
कच्चे तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी होने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसके दामों में कमी आ सकती है, जिससे आयातित कच्चे तेल पर निर्भर करने वाले भारत जैसे देशों को काफी राहत मिल सकेगी। ओपेक कंट्रीज और उनके सहयोगी देशों (ओपेक प्लस) से भारत सरकार और अमेरिका बार-बार अपील करते रहे हैं कि वे तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी करें, ताकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत हद से ज्यादा अधिक ना हो जाए।
तेल निर्यातक देश ओपेक कंट्रीज और उनके सहयोगी देशों की बैठक के पहले भी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने सऊदी अरब से आग्रह किया था कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों को काबू में रखने के लिए तेल निर्यातक देशों का संगठन तेल के उत्पादन को बढ़ाने पर विचार करें।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल कोरोना संकट के दौरान जब मांग घटने की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत काफी गिर गई थी, तब तेल निर्यातक देशों में कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती करने का फैसला किया था। हालांकि हालात में सुधार होने और कच्चे तेल की मांग में इजाफा होने के बाद भी ये देश तेल के उत्पादन में कटौती को जारी रखने की बात पर अड़े रहे। इसके कारण तेल की कीमतों में खासा उछाल आया और फिलहाल ब्रेंट क्रूड 65 डॉलर प्रति बैरल पर और डब्ल्यूटीआई क्रूड 61 डॉलर प्रति बैरल के कीमत पर कारोबार कर रहा है। इसके कारण कच्चे तेल का आयात करने वाले देशों का आयात बिल काफी बढ़ गया है।
अब कच्चे तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी करने की बात पर सहमति बन जाने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत में कमी आने के आसार बन गए हैं। तेल निर्यातक देशों और उनके सहयोगी देशों के बीच हुई बैठक में कच्चे तेल के उत्पादन को बढ़ाने को लेकर जो सहमति हुई है, उसके मुताबिक मई के महीने में 3.5 लाख बैरल प्रतिदिन, जून में भी 3.5 लाख बैरल प्रतिदिन और जुलाई के महीने में चार लाख बैरल प्रतिदिन कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाया जाएगा। इस तरह तेल उत्पादक देशों द्वारा जुलाई के महीने तक कच्चे तेल के उत्पादन में प्रतिदिन 11 लाख बैरल की बढ़ोतरी कर दी जाएगी।
जानकारों का कहना है कि अगर बैठक में बनी सहमति के हिसाब से ही कच्चे तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी की गई तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत एक बार फिर 35 से 40 डॉलर प्रति बैरल तक के स्तर तक पहुंच सकती है, जिससे तेल के आयात पर निर्भर करने वाले भारत जैसे देशों को काफी राहत मिल सकेगी। इससे देश में न केवल पेट्रोल और डीजल की कीमत में कमी आएगी, बल्कि व्यापार घाटे को भी काफी कम किया जा सकेगा। (एजेंसी, हि.स.)
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