न्यूयॉर्क। एक नए शोध में खुलासा हुआ है कि हम रोजमर्रा की जिंदगी में प्लास्टिक से बने उत्पादों का जितना इस्तेमाल कर रहे हैं, वो पुरुषों के लिए बेहद खतरनाक है। शोध के मुताबिक पुरुषों में पिछले 40 साल के मुकाबले स्पर्म काउंट 50 फीसदी तक कम हो गया है। इस शोध को आधार बनाकर अमेरिकी एक्सपर्ट डॉ शन्ना स्वैन ने एक किताब लिखी है, जिसके बाद इस मुद्दे पर चर्चा तेज हो गई है।
डॉ शन्ना स्वैन ने ये किताब साल 2017 में लिखी थी, जिसकी खूब चर्चा हुई थी। उन्होंने अब किताब में नए अपडेट्स जारी किए हैं। उन्होंने लिखा है कि रोजमर्रा की जिंदगी में बढ़ते प्लास्टिक के दखल से घातक समस्याएं पैदा हो रही हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि खिलौनों, डिटर्जेंट, फूड पैकेजिंग, इलेक्ट्रॉनिक सामानों में इस्तेमाल होने वाले पथलेट्स की वजह से पुरुषों का स्पर्म काउंट गिर रहा है।
डेलीमेल की खबर के मुताबिक, डॉ शन्ना स्वैन ने लिखा है कि इंसानों ने साल 1950 से प्लास्टिक के उत्पादों पर काफी जोर दिया है। और इसके बाद से मेल फर्टिलिटी में लगातार गिरावट दर्ज हुई है। उन्होंने जोर देकर कहा है कि पिछले 40 सालों में पुरुषों का स्पर्म काउंट 50 फीसदी तक गिरा है। इसके अलावा जो नवजात बच्चे पैदा हो रहे हैं, उन्हें मां के गर्भ से ही प्लास्टिक उत्पादों की वजह से दिक्कतें पहुंचनी शुरू हो जाती हैं।
डॉ स्वैन के शोध के मुताबिक हर साल पश्चिमी देशों के पुरुषों में जनन शक्ति 1 फीसदी कम होती जा रही है। इसके अलावा टेस्टोस्टेरोन का स्तर घट रहा है और टेस्टिकुलर कैंसर की समस्या भी तेजी से बढ़ रही है। इसी तरह के एक अन्य एक शोध में सामने आया है कि कोरोना वायरस के संक्रमण से भी पुरुषों में प्रजनन क्षमता घटी है। शोध के मुताबिक जिन लोगों को कोरोना का संक्रमण हो रहा है, उनमें से 28 फीसदी लोगों को इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या आ रही है।
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