भोपाल। प्रदेश में जो विधायक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं, उनमें से ज्यादातर सीटों पर भाजपा नेताओं का विधायक बनने का सपना लगभग खत्म हो गया है। अगले महीने दमोह सीट पर उपचुनाव होना है। जहां से दोनों दोनों दल सक्रिय हो गए हैं और अपने-अपने प्रत्याशियों का भी ऐलान कर दिया है। इस बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता जयंत मलैया ने एक हफ्ते से अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है। प्रदेश संगठन को उन्होंने अपनी नाराजगी से अवगत करा दिया है। इस बीच संगठन ने मलैया को मनाने की कोशिश भी है। अब उपचुनाव में मलैया या तो अपने विरोधी राहुल लोधी के समर्थन में खुलकर प्रचार करेंगे या फिर वे अपने पूरे चुनाव के दौरान न्यूट्रल ही रहेंगे। पार्टी सूत्रों ने बताया कि पिछले हफ्ते जयंत मलैया ने मीडिया के जरिए अपनी नाराजगी जताई थी। इसके बाद संगठन ने दोनों पदाधिकारियों को मलैया से मुलाकात करने के लिए भेजा। चूंकि मलैया भाजपा के कर्मठ नेता हैं। इसलिए संगठन को भरोसा है कि वे पार्टी लाइन से बाहर नहीं जाएंगे। संभवत: वे उपचुनाव के दौरान प्रचार-प्रसार से दूर रह हो सकते हैं। बताया गया कि उपचुनाव के बाद पार्टी निगम-मंडल में एडजस्ट कर सकती है। हालांकि इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
पिछले चुनाव में मलैया को हराया
राहुल लोधी ने 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा नेता जयंत मलैया को हराया था। पिछले साल प्रदेश में कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के बाद भाजपा ने सरकार बनाई थी। सरकार बनने के बाद और पिछले साल नवंबर में हुए उपचुनाव के दौरान भाजपा के बुंदेलखंड के नेताओं ने राहुल लोधी को भाजपा में शामिल कराया था। लोधी के भाजपा में आने के बाद मलैया का अब राजनीतिक कैरियर लगभग खत्म हो गया है।
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