अग्निबाण भंडाफोड़ पार्ट-2… प्रशासन करेगा कार्रवाई… नगर तथा ग्राम निवेश भी दी गई अनुमतियों को रोकेगा
इन्दौर। फार्म हाउस (Farm House) की कालोनी मौर्या हिल्स (Maurya Hills) का फर्जीवाड़ा अग्निबाण ने उजागर किया, उसके बाद नगर तथा ग्राम निवेश और नगर निगम (Municipal Corporation) द्वारा भी अब कार्रवाई शुरू की जा रही है। लो डेंसिटी यानी निम्न घनत्व में शामिल मौर्या हिल्स पर बड़ी संख्या में बड़े-बड़े अवैध बंगलों (Illegal Bungalows) का निर्माण तो हो ही रहा है, वहीं पहाड़ी की खुदाई भी अवैध तरीके से की जा रही है। पिछले दिनों प्रशासन ने इस तरह की अवैध खुदाई के कई मामलों में कार्रवाई की थी और करोड़ों रुपए का जुर्माना भी आरोपित किया गया। अब मोर्या हिल्स में चल रही अवैध खुदाई पर भी प्रशासन खनीज विभाग (Department of Minerals) के जरिए कार्रवाई करवाएगा। वहीं निगम भी अब आर्किटेक्श लवकेश तिवारी (Lavkesh Tiwari) सहित अन्य बने बंगलों की जांच के लिए अपनी टीम भेजने जा रहा है।
पिछले कई सालों से कनाडिय़ा रोड स्थित मौर्या हिल्स (Maurya Hills) चर्चा में रही है। 24 साल पहले फार्म हाउस (Farm House) के भूखंड यहां बेचे गए, जिन पर अब बंगलों का निर्माण शुरू हो गया है। 133 एकड़ की भूरी टेकरी पर यह मौर्या हिल्स फार्म हाउस की कालोनी काटी गई, जिस पर बड़े-बड़े आकार के लगभग 200 भूखंड बेचे गए। कुछ लोगों को तो कब्जे भी नहीं मिले हैं, उसकी भी शिकायतें सामने आ रही है। मास्टर प्लान में मौर्य हिल्स को लो डेंसिटी यानी निम्न घनत्व वाले क्षेत्र में शामिल किया है, जहां एफएआर मात्र 0.15 ही मिलता है। इसकी तुलना में कई गुना अधिक निर्माण बंगलों में कर लिया और पहाड़ी पर बड़ी-बड़ी दीवारें बनाकर, बंगलों के निर्माण के लिए खुदाई की जा रही है। झंवर ग्रुप ने यह मौर्या हिल्स फार्म हाउस की कालोनी काटी और मास्टर प्लान (Master Plan) में इसे आवासीय करवाने के असफल प्रयास भी किए। उत्तम झंवर की बीजे कम्पनी ने पूर्व में वन आवास के तहत भी नक्शे मंजूर करवाए, ताकि प्राधिकरण या हाउसिंग बोर्ड की योजना से बचा जा सके और 2007 की ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में मल्टीफ्लेक्स सहित अन्य करोड़ों के कागजी प्रोजेक्टों के बोगस एमओयू भी शासन के साथ साइन किए गए, जो बाद में खारिज हो गए। नगर तथा ग्राम निवेश के संयुक्त संचालक एसके मुद्गल का स्पष्ट कहना है कि मौर्या हिल्स लो डेंसिटी में आता है, जहां पर इस तरह के अधिक क्षेत्रफल वाले बंगले निर्मित नहीं किए जा सकते। लिहाजा दी गई अनुमतियों को निरस्त किया जाएगा। दरअसल एफएआर मात्र 0.15 ही मिलता है। यानी 10 हजार स्क्वेयर फीट के भूखंड पर अधिकतम 1500 स्क्वेयर फीट का निर्माण ही कर सकते हैं, लेकिन लवकेश तिवारी से लेकर अन्य रसूखदारों ने 80 से 90 प्रतिशत तक निर्माण अपने भूखंडों पर कर लिया है, जिसके चलते अब नगर निगम, नगर तथा ग्राम निवेश के अलावा प्रशासन भी नियमों के विपरित बन रहे बंगलों और अवैध खुदाई के मामले में कार्रवाई शुरू करेगा।
आर्किटेक्ट लवकेश तिवारी ने खुद किया अवैध निर्माण… कइयों को जमीन टिकाई
मोर्या हिल्स (Maurya Hills) की लो डेनसिटी वाली भूमि पर वास्तविक लवकेश तिवारी ने कुद तो अवैध निर्माण कर बड़ा भारी बंगला बना डाला वहीं अपने कई मित्रों के साथ ही शहर के लोगों को जमीनें खरीदकर बेच डाली। इन सभी लोगों को अपना मकान दिखाकर यह मुगालता दिलाया गया कि टेकरी पर नियंत्रित एफएआर की सीमा समाप्त हो चुकी है और यहां निर्माण कार्य किया जा सकता है।इतना ही नहीं तिवारी ने पहाड़ी की ही जमीनें खोद-खोदकर मुरम-गिट्टी से सडक़ें तक बनवा डाली ताकि जमीनों के दाम अच्छे मिल सके। मोर्या हिल्स की इस पहाड़ी पर बन रहे बंगले जहां पूरी तरह अवैध है वहीं टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से स्वयं केआवास के रूप में स्वीकृत नक्शे के विपरित निर्माण किए जा् रहे हैं इन नक्शों में भी मात्र 0.015 का एफएआर स्वीकृत किया गया है लेकिन निर्माण कार्य कई गुना ज्यादा किया गया।
निगम भी लगा चुका है पूर्व में निर्माणों पर रोक
इंदौर में मास्टर प्लान (Master Plan) के आने से पहले मौर्या हिल्स पर वन आवास के तहत नक्शे मंजूर किए गए थे और यह फर्जीवाड़ा भी तब 2005-06 में अग्निबाण ने उजागर किया था, जिसके चलते नगर निगम ने भवन अनुज्ञा देने से इनकार करते हुए नोटिस भी जारी किए थे। वहीं तत्कालीन एसडीओ ने इस जमीन का डायवर्शन करने से भी मना कर दिया था, क्योंकि मास्टर प्लान में इसका भूमि उपयोग कृषि था और जब तक नगर तथा ग्राम निवेश आवासीय प्रयोजन के लिए भू-उपयोग निर्धारित नहीं करता तब तक डायवर्शन नहीं किया जा सकता। बाद में मास्टर प्लान में इसे लो डेंसिटी में डाला और निगम के मुताबिक शहरी क्षेत्र में वन आवास का वैसे भी कोई प्रावधान नहीं है।
आरई-2 का अलाइन्मेंट भी करवाया चेंज
एक महत्वपूर्ण आरई-2 रोड जो सालों पहले बनना थी वह भी मौर्या हिल्स सहित अन्य रसूखदारों के दबाव-प्रभाव के चलते आज तक नहीं बनी और नगर तथा ग्राम निवेश ने आरई-2 का अलाइन्मेंट भी मौर्या हिल्स सहित अन्य निर्माणों को बचाते हुए कर डाला। अब नए अलाइन्मेंट के साथ आरई-2 के निर्माण का निर्णय नगर निगम और प्राधिकरण ने लिया है। दरअसल, पूर्व में कनाडिय़ा क्षेत्र में आलोक नगर के एक पेट्रोल पम्प के लिए भी इसी तरह नगर तथा ग्राम निवेश ने आरई-ृ2 के अलाइन्मेंट में संशोधन किया था, जिसका फायदा मौर्या हिल्स के कर्ताधर्ताओं को भी मिल गया। अगर इसकी भी जांच हो तो तत्कालीन नगर तथा ग्राम निवेश के अफसर फंसेंगे, जिन्होंने अलाइन्मेंट बदलते हुए कई अभिन्यास मंजूर किए।
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