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    Gaganyaan Mission : चारों अंतरिक्ष यात्रियों की ट्रेनिंग पूरी, रूस कर रहा मदद

  • March 24, 2021

    मास्को। गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission) के तहत अंतरिक्ष में जाने के लिए चुने गए भारत के सभी चार अंतरिक्ष यात्रियों (Astronauts) ने रूस में एक साल की ट्रेनिंग पूरी (One year training completed in Russia) कर ली है। अंतरिक्ष यात्रियों की ट्रेनिंग के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और और रूसी लांच सेवा प्रदाता ग्लैवकॉसमॉस (Glavkosmos) के बीच जून 2019 में समझौता हुआ था। ट्रेनिंग लेने वालों में भारतीय वायु सेना के एक ग्रुप कैप्टन और तीन विंग कमांडर शामिल हैं।

    बता दें कि यह ट्रेनिंग 10 फरवरी, 2020 को शुरू हुई थी, लेकिन कोरोना महामारी के चलते इसे कुछ समय के लिए रोक दिया गया था। रूस से लौटने के बाद ये सभी इसरो के डिजाइन किए गए ट्रेनिंग मॉड्यूल से प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। भारत में ट्रेनिंग के तीन मुख्य भाग होंगे। पूरे प्रोजेक्ट पर एक मॉड्यूल, चालक दल के सदस्यों के लिए एक मॉड्यूल और फ्लाइट हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर पर एक मॉड्यूल होगा। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद इन चारों अंतरिक्ष यात्रियों को गगनयान के जरिये अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। वायुसेना के अधिकारियों को रूस में अंतरिक्ष की परिस्थितियों के अनुसार ढलने की ट्रेनिंग दी गई है। इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इसरो के गगनयान प्रोजेक्ट के तहत इंसान को अंतरिक्ष में भेजा जा सके, इसके लिए काम किया जा रहा है।


    गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2018 को लालकिले की प्राचीर से गगनयान मिशन की घोषणा की थी। इस मिशन पर करीब 10 हजार करोड़ रुपए का खर्च आएगा। पिछले साल केंद्रीय कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दी थी। बता दें कि स्‍पेस में जाने वाले पहले अंतरिक्ष यात्री यूरी गागरिन थे, जिन्‍होंने साल 1961 में स्‍पेस की यात्रा की थी। देश के पहले अंतरिक्षयात्री राकेश शर्मा ने 2 अप्रैल 1984 को रूस के सोयूज टी-11 में बैठकर स्‍पेस की यात्रा की थी। अंतरिक्ष में जाने वाली पहली महिला रूस की वेलेन्टिना तरेश्कोवा ने 16 जून 1963 को स्‍पेस की यात्रा की थी। अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला कल्पना चावला को 1997 में यह मौका मिला था।

    इसरो के प्रमुख के. सिवन ने कहा था कि भारत 2021 में अंतरिक्ष में मानव भेजकर इतिहास रचेगा। इसरो के गगनयान अभियान के बारे में उन्होंने कहा कि भारत के लिए गगनयान मिशन बेहद अहम है। यह देश की विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षमता को बढ़ाएगा। उन्‍होंने बताया था कि चंद्रयान-2 मिशन ने 98 फीसद सफलता हासिल कर ली है। जहां तक प्रौद्योगिकी प्रमाण के मोर्चे की बात है तो इसमें लगभग पूरी तरह सफलता हासिल की गई है।

    गगनयान स्पेस में भारत का पहला मानव मिशन होगा, जिसे स्वदेशी रॉकेट जीएसएलवी मार्क-3 के जरिए अंजाम दिया जाएगा। भारत के लिए यह बेहद जरूरी प्रोजेक्ट है, क्योंकि इसकी सफलता से स्‍पेस के क्षेत्र में इसरो की धाक बढ़ जाएगी। दिसंबर, 2021 में गगनयान परियोजना के तहत तीन वैज्ञानिकों की टीम स्‍पेस में भेजी जाएगी। यह टीम कम से कम सात दिन तक गुजारने के बाद वापस धरती पर लौट आएगी। भारतीय वायुसेना के मुताबिक, इस परियोजना के लिए 10 पायलटों के चयन का पहला चरण पूरा हो गया है।

    भारतीय वायुसेना और इसरो दोनों मिलकर इस मिशन के लिए फाइनल तीन अंतरिक्ष यात्रियों का चयन किया था। इन चयनित अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षण के लिए रूस भेजा गया था। इसरो ने इस काम के लिए रूस की अंतरिक्ष एजेंसी ग्लावकॉस्मोस के साथ इसी साल दो जुलाई को करार किया था। स्‍पेस में ये अंतरिक्ष यात्री विभिन्न प्रकार के माइक्रो ग्रैविटी परिक्षणों को अंजाम देंगे।

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