नई दिल्ली। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) (Cait) ने व्यापारियों के समर्थन में ई-कॉमर्स ( e-commerce) में एफडीआई नीति (FSI Policy) में स्पष्टीकरण और विदेशी ई- कॉमर्स कंपनियों (foreign e-commerce companies ) द्वारा देश के कानून का कार्यान्वयन की मांग करके एक स्पष्ट रुख अपनाने की सराहना और स्वागत किया है। दरअसल देश के मौजूदा दूषित हो चुके ई-कॉमर्स बाजार और भुखमरी की कगार पर पहुंच चुके भारतीय ट्रेडर्स के समर्थन में फिक्की ने डीपीआईआईटी को एक पत्र लिखकर एफडीआई नीति में पारदर्शिता और कानून के सख्ती से पालन न होने पर दंडात्मक कार्यवाई की मांग की है।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि फिक्की का ये कदम देश के लोगो और कानून के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। गौरतलब है कि ई-कॉमर्स क्षेत्र में एफडीआई नीति के जबरदस्त उल्लंघन पर ऑथोरिटी द्वारा निष्क्रियता ने पहले ही 40 करोड़ से ज्यादा नागरिकों की आजीविका को खतरे में डाल दिया है। उन्होंने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे ही देश के कुछ वर्ग उपनिवेशवादी सत्ता के पक्ष में काम कर रहे है, जिनकी सहायता से ये प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों ने भारतीय कानूनों, नियमों और विनियमों के प्रति कोई सम्मान नहीं जताया, और देश के ई-कॉमर्स बाजार मॉडल का हर वक्त माखौल उड़ाया है।
खंडेलवाल ने कहा कि ये विदेशी कंपनियां एक लंबे अरसे से भारत मे ‘चरवाहों’ की तरह बर्ताव कर रहे है और केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के कई बार सार्वजनिक चेतावनियों के बावजूद उन्होंने अपनी अनैतिक प्रथाओं को आज भी जारी रखा है। कैट महसचिव ने कहा कि एक स्पष्ट रुख के साथ डीपीआईआईटी को फिक्की का पत्र, उनके प्रति हमारे सम्मान को बढ़ाता है, जो भारतीयों और भारतीय उद्योग के लिए खड़े होने का साहस रखते हैं। फि से आने वाले इस तरह के एक मजबूत समर्थन के लिए कैट और देश के 8.5 करोड़ व्यापारी और उनसे जुड़े लोग फिक्की के ऋणी रहेंगे।
उन्होंने कहा कि हमारे देश के छोटे व्यापारियों और लोगों के लिए फिक्की के मजबूत समर्थन से उत्साहित होकर कैट अब इसी तरह के समर्थन की उम्मीद उदय कोटक, अध्यक्ष, सीआईआई, विनीत अग्रवाल, अध्यक्ष, एसोचैम, संजय अग्रवाल, अध्यक्ष पीएचडीसीसीआई और नासकॉम, आईएएमएआई जैसे अन्य संगठनों से भी है। खंडेलवाल ने कहा कि हमें यकीन है कि हमे इनका समर्थन हासिल होगा और हम एक साथ माननीय प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के “लोकल पर वोकल” जैसी महत्वाकांक्षी मुहिम को वास्तविकता में उतार सकेंगे”। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि हम अपने देश को बनाना रिपब्लिक नहीं बनने दे सकते है, जहां देशक कानून और नियमों की धज्जियाँ उड़ाने वालो को प्रतिरक्षा प्राप्त है। (एजेंसी, हि.स.)
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