भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने कहा है कि प्रदेश में बे-मौसम बारिश से फसलों को नुकसान होने की सूचना मिली है। ऐसी समय में सरकार किसानों के साथ खड़ी है। उन्होंने निर्देश दिए कि प्रभावित जिलों में क्षति के आकलन कार्य को तत्काल प्रारंभ किया जाए। बे-मौसम हुई बारिश से फसलों को हुई क्षति का सर्वे कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि किसानों को सर्वे के बाद आवश्यक सहायता प्रदान की जाएगा। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि सर्वे की रिपोर्ट पंचायत कार्यालय में चस्पा की जाए, जिससे सर्वे में प्राप्त फसलों की क्षति की जानकारी संबंधित किसान को भी प्राप्त हो सकें। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि किसानों को नियमानुसार फसल बीमा योजना का लाभ भी दिलवाने का कार्य हो। चौहान ने कहा कि फसलों की हानि के साथ ही जनहानि और पशु हानि के प्रकरणों में भी सहायता दी जाए। जहाँ जन हानि हुई है, प्रावधान अनुसार चार-चार लाख की राशि प्रभावित परिवारों को दी जाए। कृषि विभाग और राजस्व विभाग संयुक्त निरीक्षण करें। राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 के प्रावधान के अनुसार पात्र प्रभावितों की पूरी मदद की जाए।
20 जिलों में बेमौसम बारिश
प्रदेश में करीब 15 से 20 जिलों में असमय वर्षा हुई है। कहीं-कहीं ओलावृष्टि भी हुई है। अभी क्षति का आकलन किया जा रहा है। शीघ्र ही जिलों से प्रतिवेदन प्राप्त होगा। शुक्रवार की शाम जिलों में बारिश की जानकारी प्राप्त हुई है। पश्चिम मध्यप्रदेश के दो-तीन जिलों में और चंबल क्षेत्र में भी वर्षा हुई है। फसलों की क्षति अधिक नहीं हुई है। यहाँ आंशिक प्रभाव है, उसका आकलन किया जा रहा है। सात लोगों की आकाशीय बिजली गिरने से मृत्यु की सूचनाएँ मिली हैं। कहीं-कहीं पशु हानि भी रिकार्ड की गई है।
फसल ऋण वसूली अवधि एक माह बढ़ाई: पटेल
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री कमल पटेल ने बताया है कि प्रदेश सरकार किसानों को राहत देने जा रही है। उन्होंने बताया कि किसान हितेषी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वित्तीय वर्ष की समाप्ति 31 मार्च को होने वाली फसल ऋण वसूली की अवधि को 1 माह बढ़ाए जाने पर सहमति प्रदान कर दी है। पटेल ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री श्री चौहान से भेंट कर फसल ऋण वसूली की अवधि को बढ़ाने का अनुरोध किया था। वर्तमान में उपार्जन का कार्य चल रहा है और किसानों को उपज की राशि अप्रैल-मई माह में प्राप्त होगी। एक माह की अवधि बढऩे से अब किसानों की मुश्किल कम होगी और वे फसल ऋण की राशि को जमा कर सकेंगे।
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