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    MiG-21 बाइसन के पायलट आशीष गुप्ता का हुआ अंतिम संस्कार

  • March 18, 2021

    नई दिल्ली । भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) के पायलट आशीष गुप्ता (Pilot Ashish Gupta) के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार आज मध्य प्रदेश के ग्वालियर (Gwalior) में कर दिया गया​​। गुप्ता की ग्वालियर एयर बेस से लड़ाकू प्रशिक्षण मिशन के लिए टेक-ऑफ रन के दौरान मिग-21 बाइसन के विमान दुर्घटनाग्रस्त होने से मौत हो गई​ थी​​।​​वायुसेना ने दुर्घटना का कारण पता लगाने के लिए कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी (Court of inquiry) का आदेश दिया है। भारत में उच्च सैन्य दुर्घटना का लगातार बढ़ता ग्राफ है। अब तक ​वायुसेना, सेना और नौसेना ने 2015-2016 के बाद से दुर्घटनाओं में कम से कम 60 विमान और हेलीकॉप्टर खो दिए हैं। इन दुर्घटनाओं में 70 से अधिक जवान भी शहीद हुए हैं।


    ग्रुप कैप्टन ए गुप्ता मिग-21 स्क्वाड्रन के ऑफिसर इन कमांडिंग थे, जो टैक्टिक्स और एयर कॉम्बैट डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (TACDE) का हिस्सा थे। टीएसीडीई भारतीय वायुसेना के शीर्ष 1 प्रतिशत लड़ाकू पायलटों को हवाई युद्ध प्रशिक्षण प्रदान करता है। टीएसीडीई पहले जामनगर में स्थित था, लेकिन 2000 में इसे ग्वालियर स्थानांतरित कर दिया गया था। पिछले 18 महीनों में कुल 3 मिग-21 क्रैश हो चुके हैं। इससे पहले 05 जनवरी, 2021 को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ में प्रशिक्षण के दौरान वायुसेना का लड़ाकू विमान मिग-21 बाइसन क्रैश हुआ था। विमान में गड़बड़ी का पता लगते ही पायलट ने सुरक्षित रूप से निकासी कर ली, इसलिए कोई जनहानि नहीं हुई थी।

    पिछले वर्षों में भारत में उच्च सैन्य दुर्घटना का ग्राफ बढ़ा है। ​​वायुसेना, सेना और नौसेना ने 2015-2016 के बाद से दुर्घटनाओं में कम से कम 60 विमान और हेलीकॉप्टर खो दिए हैं। इसके साथ ही 70 से अधिक लोगों का जीवन का नुकसान हुआ है। यह भारत में अस्वीकार्य रूप से उच्च सैन्य दुर्घटना का लगातार ग्राफ बढ़ रहा है।​ ​पुराने सोवियत मूल के मिग-21​ लड़ाकू विमानों को 1963 में ​वायुसेना में शामिल किया गया था​।​ भारतीय वायुसेना ​ने 872 मिग-21 को​ अपने बड़े में शामिल किया ​था लेकिन ​1971-72 ​तक 400 से अधिक ​विमान ​दुर्घटनाग्रस्त हो गए। ​भारतीय वायुसेना अभी भी मिग-21 बाइसन​ के 4 स्क्वाड्रन संचालित करती है​ जिनकी 2024 तक ​विदाई की जानी है।

    भारतीय वायुसेना में ​मिग विमानों ​के क्रैश रिकॉर्ड को देखते हुए फ्लाइंग कॉफिन (उड़ता ताबूत) नाम दिया गया है।1959 में बना मिग-21 अपने समय में सबसे तेज गति से उड़ान भरने वाले पहले सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों में से एक था। इसकी स्पीड के कारण ही तत्कालीन सोवियत संघ के इस लड़ाकू विमान से अमेरिका भी डरता था। यह इकलौता ऐसा विमान है, जिसका प्रयोग दुनियाभर के करीब 60 देशों ने किया है। मिग-21 इस समय भी भारत समेत कई देशों की वायुसेना में अपनी सेवाएं दे रहा है। मिग- 21 एविएशन के इतिहास में अब​ ​तक का सबसे अधिक संख्या में बनाया गया सुपरसोनिक फाइटर जेट है। इसके अब​ ​तक 11496 यूनिट्स का निर्माण किया जा चुका है।

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