हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे (Basil plant) का बहुत महत्व है। कहा जाता है कि घर में तुलसी का पौधा (Basil plant) लगाने से देवी-देवताओं की विशेष कृपा बनी रहती है। घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है। इसके साथ ही आर्थिक तौर पर भी लाभ मिलता है। इन सभी शुभताओं के बावजूद तुलसी के पौधे (Basil plant) को लेकर हमारे धर्म ग्रंथों में कुछ नियम बताएं गए हैं, जिनका हम पालन करेंगे तो हम पर तुलसी माता की कृपा बनी रहती है। तुलसी के पौधे (Basil plant) को कल्याण और सुखी जीवन का प्रतीक माना गया है। तुलसी पत्तों का इस्तेमाल पूजा-पाठ में भी होता है। इसलिए इसका महत्व और बढ़ जाता है। साथ ही औषधी (Medicine) के तौर पर भी तुलसी के पत्तों का महत्व (importance of Basil ) है। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बतानें तुलसी पौधों (Basil plant) के फायदे और इसे घर में रखने को लेकर बरती जाने वाली कुछ सावधानियों के बारे में भी बताते हैं।
दरअसल पूजन-आराधना के लिए तुलसी हम रोज तोड़ते हैं, लेकिन तुलसी तोड़ने के लिए भी कुछ बातों का ध्यान रखना जरुरी है। तुलसी को तोड़ते समय आप अगर अपवित्र हैं, तो नहीं तोड़ें। एकादशी, रविवार और चंद्रग्रहण के दिन तुलसी को नहीं तोड़ना चाहिए।
घर के आंगन में भी तुलसी का पौधा (Basil plant) रखने से समृद्धि बनी रहती है।
घर में अगर तुलसी का पौधा (Basil plant) आपने रखा है तो इसकी रोज पूजा जरूर करें। इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है और नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं।
तुलसी की पत्तियों को अगर तोड़ने की जरूरत पड़े तो सबसे पहले पौधे को हिलाना नहीं भूलें। बिना नहाए तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ें।
इसके अलावा रविवार और मंगलवार को भी तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए।
इस बात का भी ध्यान रखें कि तुलसी के पौधे (Basil plant) का सूख जाना या फिर मुरझा जाना अशुभ माना जाता है। इसलिए इसका हमेशा ध्यान रखें।
तुलसी के पौधे (Basil plant) आसपास हमेशा पवित्रता (Purity) बनाए रखें। कूड़ा या अन्य गंदी चीजें यहां नहीं फैलाएं। तुलसी के पौधे के सामने शाम को दीया जरूर जलाएं।
स्वास्थ्य की दृष्टि से भी तुलसी का महत्व (importance of Basil ) है। ऐसे में तुलसी की पत्तियों को हमेशा चबाने की बजाय जीभ पर रखकर चूसना ज्यादा लाभदायक सिद्ध होता है। यही सही तरीका है।
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
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