जबलपुर। जबलपुर (Jabalpur) के सिहोरा कृषि उपज मंडी में सोमवार को किसान महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि विचारधारा को बंदूक की नोक से नहीं रोका जा सकता है, उद्योगपतियों के इशारे पर रेल बेची, स्टेशन बेचे, एयरपोर्ट बेचे अब गरीब की रोटी को तिजोरी में बंद करने की साजिश के साथ किसान को तबाह करने का षडयंत्र रचा जा रहा है उसे हम कभी सफल नही होने देगें, महापंचायत में करीब आठ हजार से ज्यादा किसान उपस्थित रहे।
जबलपुर (Jabalpur) के सिहोरा कृषि उपज मंडी में सोमवार दोपहर किसानों के जनसमूह को संबोधित करते हुए,भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आज केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि किसान को अपनी जमीन औलाद से भी अधिक प्यारी होती है किसान जब जीवित रहते अपनी जमीन औलाद के नाम नहीं कर सकता है तो फिर वह अपनी जमीन को जान-बूझकर किसी अंजान को कैसे सौंप देगा किसान अपनी एक इंच जमीन भी कारपोरेट घरानों को नहीं देने वाले हैं।
उन्होने यह भी कहा कि देश को कंपनी के हाथों संचालित नही होने दिया जाएगा, इसके लिए आजादी की दूसरी क्रांति की जरूरत पड़ी तो हम लडऩे तैयार हैं,नए कृषि कानून को काला कानून की संज्ञा देते हुए टिकैत ने कहा कि कोरोना काल में जब हम जान बचाने अपने घरों में कैद थे तब कंपनी के इशारों पर सरकार नए कृषि कानून लेकर आई इसलिए ये कानून नहीं है, इस सरकार की आत्मा काली है।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बलराम सिंह ने कहा कि 1967 में एमएससी लागू किया गया था किंतु आज भी किसानों को उनकी उपज का वाजिब दाम नहीं मिल रहा है तब गेहूं के दाम 70 क्विंटल थे डीजल 38 पैसे प्रति लीटर मिलता था एक किवंटल में 200 लीटर डीजल किसान को मिल जाता था आज 1 क्विंटल गेहूं बेचकर किसान 20 लीटर डीजल भी नहीं खरीद पा रहा है।
महापंचायत को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन के मेजर सिंह गुरमीत सिंह गुरुदत्त सिंह, जसवीर सिंह, प्रीतम सिंह, कांग्रेस नेता सम्मति सैनी, रूपेंद्र पटेल सहित अनेक किसान नेताओं ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक नए कृषि कानून को वापस नहीं लिया जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा एवं 26 मार्च 21 को भारत बंद का आवाहन किया. गया है। एजेेंसी
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