नई दिल्ली। फरवरी (February) के महीने में थोक महंगाई दर (Wholesale inflation) बढ़कर 4.17 प्रतिशत पर पहुंच गई, जबकि जनवरी में यह 2.03 प्रतिशत पर थी। फरवरी में महंगाई का असर चौतरफा देखने को मिला। इस दौरान खाद्य पदार्थों और ईंधन, बिजली के दाम बढ़ने से सभी मुख्य श्रेणियों में महंगाई दर में बढ़ोतरी देखने को मिली।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाले उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) की ओर से जारी मुद्रास्फीति के आंकड़ों के मुताबिक फरवरी 2021 में लगातार दूसरे माह देश की थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति बढ़कर 4.17 फीसदी पर आ गई। जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 2.26 फीसदी थी। खाने-पीने के सामान के थोक दाम में महंगाई पिछले महीने 3.31% रही। साल के पहले महीने में उनका थोक दाम सालाना आधार पर 0.26% घटा था। फरवरी में सब्जियों के दाम में 2.90% की गिरावट आई जबकि जनवरी में उनके दाम सालाना आधार पर 20.82% घटे थे। हालांकि, फरवरी में दलहन का दाम 10.25% बढ़ गया जबकि फलों के दाम में 9.48% का इजाफा हुआ।
दूध एवं उसके उत्पादों, दालों और इससे संबंधित उत्पादों, अंडे के सेग्मेंट में महंगाई दर क्रमश: 2.59 फीसदी, 12.54 फीसदी और 11.13 फीसदी रही। जनवरी में यह मुद्रास्फीति क्रमश: 2.73 फीसदी, 13.39 फीसदी और 12.85 फीसदी पर थी।
महंगाई दर पर सबसे ज्यादा असर विनिर्माण क्षेत्र (64.23 प्रतिशत) का है। फरवरी के दौरान इस क्षेत्र की महंगाई दर 5.81 प्रतिशत रही है जो कि जनवरी में 5.13 प्रतिशत पर थी। फरवरी के दौरान फर्नीचर, ट्रांसपोर्ट उपकरण, व्हीकल, ट्रेलर्स और मशीनरी, कंप्य़ूटर इलेक्ट्रॉनिक सामानों में बढ़त देखने को मिली है। वहीं बेस मेटल, फार्मा, चमड़े का सामान और कपड़े आदि सस्ते हुए हैं।
ईंधन और बिजली का पूरी महंगाई दर पर असर 13.15 प्रतिशत का है। फरवरी के दौरान ईंधन और बिजली की थोक महंगाई दर 0.58 प्रतिशत रही, जो कि जनवरी में निगेटिव 4.78 प्रतिशत थी। फऱवरी के दौरान पिछले महीने के मुकाबले खनिज तेल 8.88 प्रतिशत बढ़ा है। हालांकि इसी अवधि के दौरान बिजली की कीमतों मे गिरावट देखने को मिली है। जानकारों का मानना है कि पिछले साल के मुकाबले कमोडिटी के दामों में तेज उछाल आने से आने वाले तीन महीनों में थोक महंगाई दर में तेज उछाल आने की आशंका है। उन्होंने कहा कि कोर डब्ल्यूपीआई इन्फ्लेशन मार्च में लगभग 6% और हेडलाइन डब्ल्यूपीआई इनफ्लेशन 9-9.5% पर रह सकता है। उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा के दौरान मुख्यतौर पर खुदरा मुद्रास्फीति पर ही गौर करता है।
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