भोपाल। बिजली विभाग (Electricity Department) में ठेका कर्मियों को 45 साल की उम्र में अनफिट करने के नियम पर संगठनों ने सवाल किया है। मप्र (MP) बिजली आउटसोर्स (Power outsource) कर्मचारी संगठन के प्रांतीय संयोजक मनोज भार्गव (Manoj Bhargava) ने कहा कि नियमित कर्मी 62 साल में सेवानिवृत्त हो रहे हैं तो फिर ठेका श्रमिकों को 45 साल में क्यों काम से बाहर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश गुजरात मॉडल (Gujarat model) के आधार पर चल रहा है गुजरात में बिजली कंपनियों में मात्र दो फीसदी आउटसोर्सिंग (Outsource) है पर मप्र की बिजली कंपनियों में 100 फीसद आउटसोर्सिंग (Outsource) क्यों चल रही है। प्रदेश में 90 प्रतिशत कैश काउंटर (Cash Account) एवं सब स्टेशन (Sub Station) ठेका कर्मियों के हवाले है। मप्र के ठेका कर्मियों को केंद्र के ठेका कर्मी के बराबर वेतन दिया जाकर ठेकेदारी संस्कृति समाप्त कर आउटसोर्स रिफार्म नीति बनाई जाए।
ठेका श्रमिकों के वेतन पर जीएसटी (GST)
मनोज भार्गव (Manoj Bhargava) ने कहा कि बिजली ठेका कर्मियों के वेतन से 18 फीसदी जीएसटी (GST) काटा जा रहा है। संगठन पदाधिकारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री बिजली कंपनियों के माध्यम से सीधे वेतन देकर ठेका कर्मियों को जहां आत्मनिर्भर बना सकते हैं वहीं प्रतिवर्ष करीब 300 करोड़ रुपये बचाया जा सकता है। मौजूदा स्थिति में पांच फीसदी ठेकेदारी कमीशन एवं 18 फीसदी जीएसटी तथा 2 फीसदी टीडीएस (TDS) पर फिजूल खर्च किया जा रहा है।
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