नई दिल्ली । दिल्ली के बटला हाउस एनकाउंटर (Batla House encounter) में करीब तेरह साल बाद आज दोषी आरिज खान (Ariz Khan) की सजा पर साकेत कोर्ट (Saket Court) में बहस होने वाली है. पुलिस (police) की तरफ से पेश किए गए सबूतों के आधार पर कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि आरिज खान ने सहयोगियों के साथ मिलकर पुलिस को बड़ा नुकसान पहुंचाया था. कोर्ट ने आरोपी आरिज खान को Indian Penal Code, 1860 (IPC) आईपीसी 186, 333, 353, 302, 307, 174a के तहत दोषी करार दिया था.
आरिज खान पर देश में कई जगहों पर बम धमाके के आरोप है जिसमें एक सौ पैंसठ लोगों की जान चली गई थी. धमाकों के बाद आरिज नेपाल भाग गया था और वहां सलीम नाम से छिपा हुआ था. 2008 में दिल्ली के करोल बाग, कनॉट प्लेस, इंडिया गेट जैसी जगहों पर सीरियल धमाके के बाद जांच आगे बढ़ी और इसी दौरान खुफिया जानकारी के आधार पर पुलिस ने बटला हाउस में छापा मारा.
19 सितंबर 2008 को दिल्ली के जामिया नगर इलाके के बटला हाउस में इंडियन मुजाहिदीन (Indian Mujahideen at Batla House) के संदिग्ध आतंकियों से दिल्ली पुलिस की मुठभेड़ हुई थी जिसमें दो संदिग्ध आतंकवादी आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद पुलिस के हाथों मारे गए थे. इस मुठभेड़ में दो अन्य संदिग्ध सैफ मोहम्मद और आरिज़ खान (Saif Mohammad and Ariz Khan) भागने में कामयाब हो गए, जबकि एक और आरोपी ज़ीशान को गिरफ्तार कर लिया गया था.
इस पूरे अभियान को दिल्ली पुलिस इंस्पेक्टर और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट मोहनचंद्र शर्मा (Police Inspector and Encounter Specialist Mohan Chandra Sharma) लीड कर रहे थे. मुठभेड़ के दौरान सिर के पीछे तरफ गोली लगने से उनकी मौत हो गई थी. हालांकि शर्मा की मौत काफी विवादों में रही थी और इस पर कई तरह की बातें की जाती रही थी. शर्मा दिल्ली पुलिस में 26 जून 1989 को सब इंस्पेक्टर के तौर पर भर्ती हुए थे.
अपने कार्यकाल दौरान मोहनचंद्र शर्मा ने 35 से ज्यादा आतंकियों को मारा था और 80 से अधिक आतंकियों को गिरफ्तार करवाया था. हालांकि इस इनकाउंटर के बाद दिल्ली समेत देश भर में कई जगहों पर व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे. राजनीतिक पार्टियां और मानवाधिकार संगठनों ने इसकी न्यायिक जांच कराने की मांग की थी.
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