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    टमाटर को नहीं मिल रहे भाव

  • March 14, 2021

    • परेशान किसान मवेशियों को खिला रहे हैं टमाटर

    भोपाल। साग-सब्जी और सलाद में खास स्थान रखने वाला टमाटर इन दिनों किसानों की आमदनी में खटाई बढ़ाने लगा है। इससे टमाटर उत्पादन करने वाले किसान खासे परेशान है। नाम मात्र के भाव मिलने से किसान खेतों में लगा कई क्ंिवटल टमाटर मवेशियों को खिला रहे हैं, तो कई जगह खेतों में पकी फसलें खराब हो गई है। उल्लेखनीय है डेढ़ वर्ष पूर्व तक टमाटर सब्जियों में बेहतर भाव रखता था। गत वर्ष जब खेतों में फसल पककर निकलने लगी थी, उसके बाद से लॉक डाउन लग गया। तब से वर्तमान तक एक वर्ष की अवधि में क्षेत्र का टमाटर दिल्ली सहित अन्य प्रदेशों में जाना बंद हो गया है। बड़े शहरों के व्यापारियों द्वारा टमाटर उठाव नहीं करने से जिले की मंडियों में टमाटर की भरमार है। हालत यह हो गई है कि नया टमाटर दो से ढाई, तो पुराना टमाटर एक से डेढ़ रुपए किलो भाव मिल रहा है। ऐसे में किसान टमाटर मवेशियों को खिला रहे हैं या खेतों से तुड़ाई ही नहीं करवा रहे है।

    आधे खेत में पकी फसल खराब हो गई
    राजपुर क्षेत्र के किसान संतोष पटेल ने बताया कि लॉक डाउन के बाद से अब तक टमाटर उत्पादन कर नुकसानी झेल रहे है। बीते वर्ष के बाद रकबा घटाकर डेढ़ एकड़ में टमाटर लगाए थे। फसल पककर तैयार हैं, लेकिन देश की सबसे बड़ी सब्जी मंडी दिल्ली में व्यापारी टमाटर नहीं उठा रहे। वहीं अधिक मात्रा में स्थानीय मंडियों में आवक होने से भाव औंधे मुंह गिर गए है। एक -डेढ़ रुपए किलो बेचने से बेहतर वे मवेशियों को टमाटर खिला रहे है। आधे खेत में लगे टमाटर की तुड़ाई नहीं करवाने से खराब हो गए है।

    अन्य प्रदेशों में टमाटर का उठाव नहीं
    भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष मंशाराम पंचोले ने बताया कि लॉक डाउन के बाद से अब तक किसान चहुंओर से परेशानियां ही झेल रहे है। कोरोना काल में प्रति किसान को लाखों रुपए की नुकसानी झेलना पड़ी है। वहीं नए वर्ष में आमदनी में सुधार की उम्मीद थी, लेकिन खासकर टमाटर उत्पादन करने वाले किसानों में निराशा छाई है। जिले का टमाटर पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश व दिल्ली तक भेजा जाता है। लॉक डाउन के बाद से इन प्रदेशों में टमाटर की मांग खत्म हो गई है। इससे क्षेत्र के किसानों को लोकल मंडियों में चंद रुपए किलो में फसल बेचना पड़ रही है।

    नया-पुराना टमाटर का झोल
    वहीं किसान टमाटर क्षेत्र की मंडियों में ला रहे हैं, यहां भी नया-पुराना टमाटर का झोल बना हुआ है। किसानों के अनुसार स्थानीय मंडी में नया टमाटर 60 से 70, तो पुराना टमाटर 30 से 40 रुपए केरेट (प्रतिकेरेट क्षमता 20 किलो) भाव मिल रहा है। जबकि लॉक डाउन के पूर्व डेढ़ सौ से दो सौ रुपए तक प्रति केरेट भाव मिलता था। जानकारी के अनुसार जिलेभर में करीब पांच हजार हेक्टेयर में किसान टमाटर का उत्पादन करते है।

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