नई दिल्ली। पेट्रोल और डीजल (Petrol and diesel Price hike)पर टैक्स को कम करने को लेकर केन्द्र सरकार पर बढ़ते दबाव के बीच अब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है, जिसमें राज्यों और केंद्र दोनों को चर्चा करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि तेल की कीमतों पर जो एक्साइज ड्यूटी लगता है उसका करीब 41 प्रतिशत हिस्सा राज्यों के पास जाता है ऐसे में ये कहना कि कीमत बढ़ने के लिए सिर्फ केंद्र सरकार जिम्मेदार है ये सही नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्यों दोनों को पेट्रोल और डीजल पर टैक्स से रेवेन्यू मिलता है। केंद्र के टैक्स कलेक्शन में से भी 41 प्रतिशत राज्यों को ही जाता है। ऐसे में यही उचित होगा कि केंद्र और राज्य इस पर आपस में बात करें।
क्या GST में आएगा पेट्रोल-डीजल?
पेट्रोल और डीजल को माल एवं सेवा कर (GST) के तहत लाने के सवाल पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अभी इसको लेकर किसी भी तरह का काम नहीं शुरू किया गया है। इस बारे में फैसला जीएसटी परिषद को ही लेना है। यह पूछे जाने पर कि केन्द्र क्या जीएसटी परिषद की अगली बैठक में इस तरह का प्रस्ताव लाएगा। जवाब में उनहोंने कहा कि परिषद की बेठक का समय नजदीक आने पर इस बारे में विचार होगा।
जीएसटी में आते ही बढ़ती कीमतों से मिलेंगी राहत
वर्तमान में केंद्र सरकार पेट्रोलिय पदार्थों पर निर्धारित दर से एक्साइज ड्यूटी लेती है। वहीं, विभिन्न राज्य इस पर अलग-अलग दर से टैक्स लेते हैं। पेट्रोलियम पदार्थों के जीएसटी के दायरे में आने के बाद कीमतों में एकरूपता आ जाएगी और ऐसे राज्यों में भी पेट्रोल की कीमत नीचे आ जाएगी, जहां इन पर ज्यादा टैक्स लगता है।
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