इंदौर। भूमाफियाओं के खिलाफ चल रहे अभियान के तहत अयोध्यापुरी और पुष्प विहार के बाद अब प्रशासन जागृति गृह निर्माण की कालोनी राजगृही और न्याय नगर कर्मचारी गृह निर्माण की न्याय नगर और उसकी एक्सटेंशन कालोनी के पीडि़तों को भी न्याय दिलवाने की प्रक्रिया शुरू कर रहा है। न्याय नगर एक्सटेंशन में तो जिन सदस्यों के पास सालों पुरानी रजिस्ट्रियां हैं उनके भूखंडों पर भूमाफियाओं ने नोटरी के जरिए अवैध कब्जे करवाकर मकान भी बनवा दिए। लगभग 300 ऐसे अवैध निर्माण यहां हो चुके हैं, जिन्हें अब तोडक़र वास्तविक भूखंड पीडि़तों को न्याय दिलवाया जाएगा। पूर्व में भी प्रशासन ने यहां बने अवैध मकान और अन्य निर्माणों को तुड़वाया था। प्राधिकरण की योजना 171 में शामिल रहने के कारण जमीनों पर अवैध कब्जे होते गए। सहकारिता विभाग द्वारा अब पात्र सदस्यों की सूची और अपात्रों के कब्जों की जानकारी प्रशासन और निगम को दी जा रही है।
अभी मंगलवार की जनसुनवाई में भी अन्य संस्थाओं के पीडि़तों के साथ न्याय नगर के पीडि़त भी शिकायतें लेकर पहुंचे। दरअसल संस्था के 1100 से अधिक सदस्य हैं, लेकिन भूमाफियाओं ने जहां जमीनें बेच दीं। वहीं पात्र सदस्यों की रजिस्ट्री वाले भूखंडों को भी नोटरी पर बिकवा दिया और दबंगों से कब्जे करवाकर उन पर अवैध मकान भी बड़ी संख्या में तनवा दिए। 250 से 300 अवैध मकान न्याय नगर एक्सटेंशन में बन गए हैं। कलेक्टर मनीष सिंह ने पुष्प विहार और अयोध्यापुरी के बाद अब राजगृही, न्याय नगर, श्री महालक्ष्मी नगर की भी जांच, पात्र सदस्यों को कब्जे दिलवाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। आज अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेड़ेकर न्याय नगर एक्सटेंशन का मौका-मुआयना करने भी जाएंगे। यह भी उल्लेखनीय है कि 2013 में भी तत्कालीन कलेक्टर ने 50 से अधिक मकानों को तुड़वाया था और फिर उसके बाद के कलेक्टरों ने भी संस्था की जांच करवाई, जिसमें कई अवैध मकान और नोटरी पर रजिस्ट्रियां पाई गईं, जिनकी संख्या लगातार बढ़ती रही और अब 300 से अधिक अवैध मकान बन गए हैं। यहां तक कि नगर निगम ने राम मंदिर ट्रस्ट की जमीन पर बनी अवैध इमारत को विस्फोट लगाकर भी उड़ाया था। वहीं खजराना थाने पर पीडि़तों की ओर से कई शिकायतें भूमाफियाओं के खिलाफ दर्ज करवाई जा चुकी हैं। फिलहाल संचालक मंडल भंग है और सहकारिता विभाग की ओर से रिसीवर नियुक्त है। बावजूद इसके भूखंडों की अवैध खरीद-फरोख्त के साथ उन पर अवैध निर्माण भी होते रहे हैं। न्याय नगर बसाने वालों ने ही भूखंड न्याय नगर एक्सटेंशन के नाम से बेच डाले और करोड़ों रुपए की जमीन रसूखदारों ने खरीद भी रखी है। न्याय नगर के साथ-साथ प्रशासन चर्चित संस्था जागृति गृह निर्माण की पीपल्याहाना स्थित राजगृही कालोनी और मजदूर पंचायत गृह निर्माण की श्री महालक्ष्मी नगर की भी जांच शुरू करवा रहा है। वहीं इसके अलावा कविता गृह निर्माण, नवभारत, विकास अपार्टमेंट जैसी अन्य संस्थाओं का भी नम्बर लगेगा। जागृति गृह निर्माण की राजगृही में भी जहां सदस्यों के भूखंडों की रजिस्ट्रियां हो चुकी हैं और बाद में भूखंडों की साइज कम की गई और साढ़े 7 एकड़ जमीन एक अन्य गृह निर्माण संस्था कविता और 4-5 एकड़ जमीन दीपक गणेश नामक संस्था में ट्रांसफर कर दी गई।
न्याय नगर में बब्बू-छब्बू गिरोह आज भी निशान लगाकर प्लाट बेच रहा है और बन रहे हैं मकान
एमआर-10 से लगी इंदौर विकास प्राधिकरण की स्कीम की भूमि पर बसे न्याय नगर में बब्बू-छब्बू गिरोह के लोग आज भी खुली जमीन पर निशान लगाकर चाहे जिसे भूमि का कब्जा दे देते हैं और मकान बनना शुरू हो जाता है। भूमाफिया विरोधी मुहिम के बावजूद इस जमीन पर अभी भी कई मकानों का निर्माण चल रहा है। इंदौर विकास प्राधिकरण ने अपनी स्कीम की जमीन होने के बावजूद इतनी बेपरवाही बरती कि माफिया अपना काम करते चले गए। शुरुआती दौर में बॉबी के गुर्गे और हैप्पी, लक्की धवन के गुंडे इस जमीन पर मंडराते रहते थे और धीरे-धीरे उन्होंने यहां पर लोगों को बसाना शुरू कर दिया। इसके लिए बाकायदा जमीन पहले मौके पर दी जाती और उसके बाद मकान का निर्माण कार्य शुरू होता। इस दौरान यदि कोई विरोध होता तो गिरोह के लोग उसकी सेटिंग में लग जाते। यहां तक कि विकास प्राधिकरण के कर्मचारियों के साथ सहकारिता विभाग के अधिकारी और पटवारी तथा राजस्व निरीक्षक भी इस गोरखधंधे में शामिल रहे। आलम यह है कि न्याय नगर की अधिकांश भूमियों पर मकान बन चुके हैं। यदि इन लोगों से दस्तावेजों की मांग की जाए तो पता चलेगा कि फर्जी कागजों के आधार पर इन्हें कब्जा दिया गया। न्याय नगर के असली भूखंडधारी आज भी अपने प्लाटों के लिए दर-दर भटक रहे हैं। वे भी जब इन अवैध निर्माण कार्यों को रोकने जाते थे तो गुंडे उन्हें धमकाते थे।
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