नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को सीबीआई (CBI), एनआईए (NIA) और ईडी (ED) जैसे केंद्रीय जांच एजेंसियों के दफ्तरों में अब तक CCTV कैमरे नहीं लगने पर नाराजगी जताई। शीर्ष अदालत ने फटकार वाले अंदाज में कहा कि सरकार इस मामले से पैर पीछे खींचने की कोशिश कर रही है।
जस्टिस आरएफ नरीमन (Justice RF Nariman) की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) से कहा कि यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों से जुड़ा मामला है। हमें ऐसा लग रहा है कि सरकार इस मामले से अपने पैर पीछे खींचने की कोशिश कर रही है। जस्टिस नरीमन के साथ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की मौजूदगी वाली पीठ ने सवाल किया कि आखिर सुनवाई टालने के लिए क्यों गुहार की गई थी। दरअसल, केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत को पत्र लिखकर मंगलवार को होने वाली सुनवाई को टालने की मांग की थी।
क्यों पड़ी जरूरत
83 मामले दर्ज हुए साल 2020 में पुलिस हिरासत में मौत के।
127 मामले साल 2019 में पुलिस के खिलाफ दर्ज हुए।
05 मौत औसतन रोजाना होती है पुलिस व न्यायिक हिरासत में।
(स्रोत- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग)
विडिओ कॉन्फ्रेंसिंग (Video Conferencing) के जरिये चल रही सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल ने जवाब दिया कि पत्र के जरिए इसलिए सुनवाई टालने की मांग की गई थी कि आदेश के प्रभावों पर गौर किया जा सके। इस पर पीठ ने पूछा, किस तरह का प्रभाव? हमें किसी भी तरह के प्रभाव से मतलब नहीं है। यह संविधान के अनुच्छेद-21 (Article 21 of The Constitution) के तहत नागरिकों को मिलने वाले अधिकारों से संबंधित है। हम सुनवाई टालने के लिए पत्र में दिए ‘बहाने’ को स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
इसके बाद सॉलिसिटर जनरल ने उस पत्र को नजरअंदाज करते हुए सुनवाई टालने की गुहार लगाई। पीठ ने सॉलिसिटर जनरल से सवाल किया कि आप हमें यह बताइए कि इन जांच एजेंसियों के दफ्तरों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए कितना फंड आवंटित किया गया है। इस पर मेहता ने अदालत के सवालों का जवाब दाखिल करने के लिए 10 दिनों का वक्त मांगा।
पीठ ने उन्हें हलफनामा दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया। हलफनामे में उन्हें CCTV कैमरे लगाने में होने वाले खर्च और अदालत के निर्देशों का पालन करने की टाइम लाइन भी बताने के लिए कहा गया है। साथ ही पीठ ने राज्य सरकारों को भी एक महीने के भीतर हलफनामा देकर यह बताने को कहा है कि अदालती निर्देशों का पालन करने के लिए कितने बजटीय आवंटन की दरकार है।
राज्य सरकारों को हलफनामा देने के चार महीने के भीतर सभी थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए कहा गया है। इससे पहले पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता व न्याय मित्र सिद्धार्थ दवे की तरफ से पेश रिपोर्ट पर भी गौर किया, जिसमें विभिन्न राज्यों में अदालत के निर्देश का पालन करने के लिए प्रस्तावित टाइम लाइन दी गई थी।
बता दें कि पीठ ने पिछले साल दो दिसंबर को अपने आदेश में भी सीसीटीवी कैमरे लगाने की पूरी कार्य योजना छह सप्ताह में हलफनामे में दाखिल करने को कहा था। यह हलफनामा सभी राज्यों के मुख्य सचिव या कैबिनेट सचिव या गृह सचिव की तरफ से दाखिल किए जाने का निर्देश दिया गया था।
हिरासत में टॉर्चर रोकने के लिए उठाया कदम
पीठ ने पिछले साल जुलाई में हिरासत में टॉर्चर करने के एक मामले की सुनवाई के दौरान पुलिस थानों में मानवाधिकार हनन पर चिंता जताई थी। इस दौरान पीठ ने 2017 के अपने एक फैसले का संज्ञान लिया था, जिसमें शीर्ष अदालत ने सभी पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने और अपने 3 अप्रैल, 2018 के आदेश के तहत केंद्र व राज्य स्तर पर एक ओवरसाइट कमेटी गठित करने का निर्देश दिया था।
दिसंबर में जांच एजेंसियों के दफ्तर भी आए दायरे में
पीठ ने गत दो दिसंबर को हिरासत में प्रताड़ना को रोकने के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने देश के सभी पुलिस थानों के साथ-साथ CBI, ED, NCB और NIA समेत सभी केंद्रीय जांच एजेंसियों (Central Investigative Agencies) के कार्यालयों में भी CCTV कैमरे और रिकॉर्डिंग उपकरण लगाने का आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने केंद्र और सभी राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों को ईमानदारी से इस काम को जल्द से जल्द अंजाम देने के लिए कहा था।
थाने का चप्पा-चप्पा दिखे CCTV में
पिछले साल शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि सभी राज्य व केंद्र शासित प्रदेश अपने हर पुलिस थाने के चप्पे-चप्पे को सीसीटीवी की जद में लाएं। यह सुनिश्चित किया जाए कि थाने में अंदर आने व बाहर जाने के रास्तों, मुख्य द्वार, हवालात, कॉरिडोर, लॉबी व रिसेप्शन समेत हवालात के बाहर की जगह भी सीसीटीवी कैमरों की नजरों से नहीं छूटनी चाहिए।
चुनावी राज्यों को दी छूट
पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने के आदेश में फिलहाल चुनावी राज्यों को छूट दी गई है। अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव से गुजरने वाले राज्यों पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, असम और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी को थानों में कैमरे लगवाने के लिए 31 दिसंबर तक का समय दिया गया है।
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