नई दिल्ली । ऋतु श्रीवास्तव, टेसी थॉमस, स्वाति मोहन और वनिता, क्या आप इन सभी को जानते हैं? ये उन दर्जनों भारतीय महिला वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और मिसाइल डेवलपर (Missile developer) में से चंद नाम हैं, जिनकी चमक मौजूदा समय में अंतरिक्ष (Space) के सितारों की जगमग के बीच दमक रही है। भारतीय महिलाएं (Indian women) अपनी प्रतिभा के दम पर अंतरिक्ष (Space) खोज में बाधाएं तोड़कर नित नए आयाम छू रही हैं।
इसके अलावा भी नीता ने बहुत सारी अन्य भारतीय महिला वैज्ञानिकों (Indian women scientists) की उपलब्धियां बताई हैं, जो सफल अंतरिक्ष विज्ञानी, इंजीनियर, सैटेलाइट लांचर, मिसाइल डेवलपर या तारों के बीच इन जटिल परियोजनाओं की प्रमुख के तौर पर आसमानी ऊंचाइयां छू रही हैं। इनमें टेसी थॉमस भी शामिल हैं, जिन्हें ‘मिसाइल वुमन ऑफ इंडिया’ Missile Woman of India कहा जाता है।
मिसाइल गाइडेंस में पीएचडी कर चुकीं थॉमस किसी भारतीय मिसाइल परियोजना का नेतृत्व करने वाली पहली महिला वैज्ञानिक रही हैं। अग्नि मिसाइल परियोजना की शुरुआत से इसके साथ जुड़ी रहीं 57 वर्षीय टेसी ने ही इस लंबी दूरी की मिसाइल को दिशा दिखाने वाला कार्यक्रम डिजाइन किया था। साथ ही वह अग्नि-4 परियोजना की प्रोजेक्ट निदेशक भी रहीं और इसे सफलता से अंजाम दिया।
नीता ने अंतरिक्ष में भारतीय महिलाओं के कमाल का अगला उदाहरण एयरोस्पेस इंजीनियर (AeroSpace Engineer) ऋतु कारिधाल श्रीवास्तव का दिया है। नीता ने लिखा है कि 2013 में भारत के पहले मार्स ऑर्बिटर (Mars Orbiter) मिशन मंगलयान (Mission Mangalyan) की डिप्टी ऑपरेशंस डायरेक्टर के तौर पर ऋतु ने देश को इतिहास रचने का मौका दिया। भारत अपने पहले ही प्रयास में मंगल का चक्कर लगाने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। अब ऋतु के कंधों पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक और महत्वाकांक्षी अभियान चंद्रयान-2 का मिशन डायरेक्टर बनाया है।
भारतीय अंतरिक्ष इतिहास में एक और चमकता हुआ नाम मुथैय्या वनिता का है। चेन्नई की वनिता करीब तीन दशक पहले वैज्ञानिक-इंजीनियर के तौर पर इसरो (ISRO) से जुड़ी थीं और अब उनके कंधों पर चंद्रयान-2 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर की जिम्मेदारी है।
सफलताएं बहुत पर संख्या अब भी कम
लेख में कहा गया है कि भारतीय महिला वैज्ञानिकों के नाम बहुत सारी ऐतिहासिक सफलताओं के बावजूद आलोचकों का कहना है कि भारत को अपनी महिला विज्ञानी समुदाय की पूरी क्षमता का लाभ उठाना बाकी है। हालांकि नीता कहती हैं कि इस स्थिति में देश की नई विज्ञान तकनीक व नवाचार नीति-2020 से बदलाव की उम्मीद है। इस नीति में विभिन्न पहलों के जरिये महिला वैज्ञानिकों को प्रेरित करने की कोशिश की गई है। सरकार ने ऐसी ही एक पहले के तौर पर भारतीय विश्वविद्यालयों में काइटोजेनेटिक्स, कार्बनिक रसायन, सामाजिक विज्ञान समेत विभिन्न क्षेत्रों 20वीं सदी में नाम कमाने वालीं महिला वैज्ञानिकों के नाम पर 11 पीठ स्थापित करने का निर्णय लिया है।
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ो के हिसाब से देखे तो :
2.8 लाख वैज्ञानिक, इंजीनियनर व तकनीशियन काम कर रहे हैं अनेक भारतीय शोध संस्थानों में और उसके साथ ही इतनी बड़ी संख्या वाले वैज्ञानिक समुदाय में महिलाओं की हिस्सेदारी सिर्फ़ 14 फीसदी ही है।
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