इंदौर। अदालत ने जहां पार्किंग पर लगाए गए शुल्क को अवैध घोषित करने का बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि नगर निगम जिस वर्ष के संपत्तिकर की मांग करता है उसमें यदि पिछले वर्ष का संपत्तिकर भी जोड़ा जाता है तो वह अवैध है, क्योंकि किसी भी मांग पर भूत लक्षीय प्रभाव लागू नहीं हो सकता। दरअसल निगम द्वारा वर्तमान में जारी किए जा रहे संपत्तिकर के बिल में तीन-तीन, चार-चार साल की डिमांड जोड़ दी जाती है।
अदालत ने फैसले में निगम की उस मनमानी संपत्तिकर डिमांड को भी नाजायज ठहराया, जिसमें संपत्तिकर का पहला बिल जारी करते हुए तीन-चार साल की डिमांड एक साथ की जाती है। मल्हार मेगा मॉल के मसले में निगम ने पार्किंग के लिए जारी संपत्तिकर नोटिस में पिछले पांच सालों का संपत्तिकर मांग लिया। अदालत का कहना है कि निगम की डिमांड में भूत लक्षीय प्रभाव लागू नहीं हो सकता। यदि बिल इस वर्ष जारी किया है तो वह इसी वर्ष का संपत्तिकर मांग सकता है। पुराने वर्षों के संपत्तिकर की डिमांड जायज नहीं है। निगम द्वारा हाल ही में नगर निगम सीमा में जुड़े 23 गांवों के डायवर्टेड प्लॉटों या जमीनों पर पिछले वर्षों का संपत्तिकर आरोपित कर रहा है। अदालत के इस फैसले से वह नोटिस भी अवैध हो जाएंगे। निगम जिस वर्ष प्रथम नोटिस जारी करता है उसी दिन से संपत्तिकर की मांग की जा सकेगी।
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