नई दिल्ली. दुनिया भर में बढ़ती आबादी के साथ ही लोगों के लिए कई परेशानियां भी सामने आ रही हैं. अब ऐसी एक चेतावनी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने जारी की है. उसके अनुसार 2050 तक दुनिया में हर 4 में से एक 1 व्यक्ति को सुनने में परेशानी (Hearing Problems) की समस्या का सामना करना पड़ सकता है. इसका मतलब यह है कि 2050 तक लोगों के सुनने की क्षमता में कमी आ जाएगी. मंगलवार को इस संबंध में चेतावनी जारी करते हुए डब्ल्यूएचओ ने इस समस्या के समाधान के लिए इलाज और इससे बचाव के लिए अधिक निवेश करने का सुझाव दिया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस समस्या को कई कारणों पर ध्यान देकर रोका जा सकता है. उसके अनुसार इनमें संक्रमण, जन्म के दौरान से ही सुनने में दिक्कत होना, बीमारी, दुनिया में बढ़ती शोर की समस्या और बदलती लाइफस्टाइल जैसे कारण शामिल हैं.
डब्ल्यूएचओ ने इस समस्या से लोगों को बचाने के लिए खास पैकेज का भी प्रस्ताव दिया है. उसके मुताबिक इस पैकेज के तहत प्रति व्यक्ति सालाना करीब 1.33 डॉलर की लागत आएगी. अगर यह समस्या बढ़ती है तो दुनिया को हर साल करीब 1 लाख करोड़ डॉलर का नुकसान हो सकता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समस्या से निपटने में कदम उठाने में विफल रहने का खामियाजा प्रभावित लोगों के स्वास्थ्य और खुशी पर प्रभाव पड़ने के रूप में सामने आएगा. इसके अलावा शिक्षा, नौकरी और संचार से उनके अलग होने से वित्तीय नुकसान का भी संकट खड़ा हो सकता है.
रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा समय में दुनिया में हर पांच में से एक व्यक्ति को सुनने की समस्या से जूझना पड़ रहा है. लेकिन अगले तीन दशक के दौरान सुनने की क्षमता में कमी की समस्या से गुजर रहे लोगों की संख्या डेढ़ गुना तक बढ़ सकती है. इसका असर दुनिया में 2.5 अरब लोगों पर पड़ सकता है. 2019 में ऐसे लोगों की संख्या 1.6 अरब थी. 2050 में 2.5 अरब में से 70 करोड़ लोग ऐसे होंगे जो गंभीर रूप से इस बीमारी से प्रभावित होंगे.
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