भूमाफियाओं के खिलाफ इंदौरी अफसरों की सख्ती के बाद भोपाल की टीम भी जांच के लिए पहुंची
इंदौर। जमीनी जादूगर और भूमाफियाओं (Land mafia) को हमेशा भोपाली मदद मिलती रही है। मास्टर प्लान के खेलों से लेकर गृह निर्माण संस्थाओं (housing institutions) की जांच-पड़ताल रुकवाने, रसूखदारों को बचाने के खेल होते रहे हैं। यही कारण है कि पूर्व की दोनों मुहिमों में संघवी, दीपक मद्दा जैसे बड़े भूमाफिया (Land mafia) बचे, जो इस बार चपेट में आए। इंदौरी अफसरों की सतर्कता और सक्रियता के बाद भोपाली अफसरों की नींद खुली और प्रमुख सचिव द्वारा गठित विशेष टीम ने इंदौर पहुंचकर दागी संस्थाओं और शिकायतों की जानकारी ली।
जब भी भूमाफियाओं के खिलाफ इस तरह की मुहिम शुरू हुई तो भोपाल से दबाव बनना शुरू हो जाते हैं। मंत्री, विधायक, सांसद से लेकर राजनीतिक पदाधिकारियों के संरक्षण के चलते चर्चित भूमाफिया बचते रहे। बेचारे पीडि़त सालों से चप्पलें घिसते रहे। अब पहली बार उन्हें न्याय मिलता नजर आ रहा है। कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) ने सख्ती से संघवी-मद्दा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई और पीडि़तों को कब्जा दिलवाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है, जिसके चलते भोपाल में भी हलचल मच गई और सहकारिता विभाग सक्रिय हुआ। उसके प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव ने एक विशेष जांच टीम गठित की, जिसमें शिवेन्द्र पांडे उपायुक्त सहकारिता भोपाल, अशोक शुक्ला उपायुक्त सहकारिता छतरपुर और सविकांत वाघमारे सहायक आयुक्त सहकारिता भोपाल को शामिल किया गया। इन अधिकारियों ने कल इंदौर आकर देवी अहिल्या, मजदूर पंचायत और न्याय नगर संस्था की जमीनों का मुआयना किया और सहकारिता विभाग के दफ्तर में बैठकर इन संस्थाओं के दस्तावेजों की जांच-पड़ताल भी की। दरअसल पूर्व के विभागीय मंत्रियों पर भी इंदौरी भूमाफियाओं को संरक्षण देने के आरोप लगते रहे हैं।
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