• img-fluid

    बलिया के युवा किसान उगा रहे black potatoes

  • February 28, 2021
    बलिया। काला रंग अंधकार का प्रतीक माना जाता है। मगर बलिया के युवा किसान ने इसके उलट काले रंग से अपने जीवन में उजाले की शुरूआत कर दी है। काले आलू ( black potatoes ) की खेती कर युवा किसान ने नई उम्मीदें जगा दी है।
    सोहांव विकास खण्ड के दौलतपुर गांव के किसान संतोष सिंह ने एमए बीएड करने के बाद खेती को चुना तो घर-परिवार के अलावा अन्य लोग भी चौंक पड़े थे। पिता का साया सिर से असमय उठ जाने से शुरू में कठिनाइयां भी आईं। मगर संतोष सिंह अपने इरादों से डिगे नहीं। प्रारंभ में परंपरागत खेती से अपनी शुरूआत की। परम्परागत खेती से परिवार चलाना मुश्किल हो गया तो उसमें नवाचार का सहारा लिया।

    दो वर्ष पहले इंटरनेट के जरिए काला धान की जानकारी हुई तो एक एकड़ में उसकी खेती की। अच्छी आमदनी हुई तो संतोष के हौसलों ने उड़ान भरी। इस बार उन्होंने प्रयोग के तौर पर काला गेहूं, काला चना और काले आलू की खेती की है। काला तैयार हुआ तो उसे खेतों से निकलवा लिया है। प्रति दो कट्ठे में तीन कुंतल के हिसाब से आलू निकला तो संतोष की खुशी का ठिकाना नहीं है।
    हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में उन्होंने बताया कि काला आलू की पैदावार सामान्य लाल या सफेद आलू से अच्छी हुई है। अलगे सीजन से व्यापक पैमाने पर इसकी खेती करूंगा। संतोष ने बताते हैं कि मेरे खेतों में काला गेहूं और काले चने की पैदावार भी अच्छी दिख रही है। फसल पकने के बाद कटेगी तो उसका मूल्यांकन किया जाएगा, यदि पैदावार औसत से अधिक हुई तो काले रंग से ही अपने जीवन में उजाला लाने का प्रयास करूंगा।
    काले आलू से मिलती है अच्छी सेहत
    संतोष सिंह ने बताया कि जब मैंने जाना कि काले आलू ( black potatoes ) में सेहत का खजाना छिपा हुआ है तो इसकी खेती की ओर अग्रसर हुआ। कहा कि इसमें वसा नहीं होता है। बल्कि यह रक्त की कमी को पूरा करके शरीर में मोटापा कम करता है। इस आलू में 40 प्रतिशत तक आयरन रहता है। इसमें बिटामिन बी-6 और फ्लोरिक एसिड भी मिलता है। इसके अलावा काला आलू हीमोग्लोबिन बढ़ाने का काम करता है।
    बताते हैं कि गर्भवती महिलाओं के लिए यह आलू सर्वाधिक फायदेमंद है। साथ में खून की कमी से जूझ रहे व्यक्ति के लिए यह संजीवनी बूटी की तरह है। कृषि विज्ञान केंद्र सोहांव के प्रबंधक डा. वेद प्रकाश सिंह ने भी कहा कि चूंकि काला आलू, काला, गेहूं, काला चना व काला चावल प्राकृतिक रूप से अपने मूल रूप में हैं, इसलिए इनकी गुणवत्ता अधिक है। यही वजह है कि इनकी पैदावार भी अधिक होती है। आयरन की मात्रा अधिक होने के कारण इनका रंग काला होता है। इसीलिए ये स्वास्थ्यवर्धक होते हैं।
    उन्नत खेती के लिए पुरस्कृत हो चुके हैं संतोष
    युवा किसान संतोष ने दो वर्ष पहले जब काला धान की खेती की तो तत्कालीन जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया था। अभी पिछले दिनों चने के लिए जिले में प्रथम पुरस्कार से भी संतोष सिंह नवाजे जा चुके हैं।
    जिलाधिकारी आवास में भी हुई है काले गेंहू की खेती
    काले अनाज की बात करें तो चंदौली इसकी शान बन चुका है। चंदौली में काले धान की खेती प्रचुर मात्रा में होती है। लेकिन बलिया में भी काले अनाजों की खेती की शुरूआत हो चुकी है। जिले में संतोष सिंह जैसे कुछ किसानों ने अपने खेतों में काले धान की खेती कर इसकी राह दिखाई तो और लोग भी प्रेरित हुए।
    यहां जिलाधिकारी आवास में काले धान की खेती तो नहीं हुई मगर काला गेहूं जरूर बोया गया है। निवर्तमान जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही ने अपने आवास में खेती में नए-नए प्रयोगों के तहत काले गेहूं की बुआई कराई है। वे यहां से भले ही चले गए हों, पर उनके द्वारा बोए गए काले गेहूं की फसल लहलहा रही है। एजेंसी

    Share:

    World में फिर से बढ़ा कोरोना संक्रमण, Conditions deteriorate in Brazil

    Sun Feb 28 , 2021
    ब्रासिलिया/वेलिंगटन/वाशिंगटन (Washington)। कोरोना का संक्रमण एकबार फिर तेजी से फैल रहा है। जहां ब्राजील में हालात बिगड़ने लगे हैं वहीं न्यूजीलैंड में संक्रमण के मामले बढ़ने के कारण अलर्ट जारी किया गया है। ऑकलैंड में लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई है। जबकि अमेरिका में कोरोना संक्रमण काबू में आने के बाद कोविड जांच कम […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    शनिवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved