नई दिल्ली । केंंद्र की Modi government ने 15 फरवरी की मध्य रात्रि से फास्टैग (FASTag) को अपने चार पहिया वाहन में लगाना अनिवार्य बना दिया, जिसके बाद से मोदी सरकार (Modi government) के टोल कलेक्शन (Toll collection) में लगातार वृद्धि देखी गई है. ताजा आंकड़ों में फास्टैग से सरकार की कमाई (Government’s earnings from Fastag) ने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (National Highway Authority of India) यानी एनएचएआई (NHAI) ने एक बयान में कहा कि फास्टैग के जरिए डेली टोल कलेक्शन लगभग 104 करोड़ रुपये रिकार्ड स्तर तक पहुंच गया है.
एनएचएआई ने एक बयान में बताया कि इस सप्ताह के दौरान टोल संग्रह प्रतिदिन 100 करोड़ रुपये से ज्यादा रहा है. 25 फरवरी को फॉस्टैग के माध्यम से टोल संग्रह 64.5 लाख से अधिक दैनिक लेनदेन के साथ 103.94 करोड़ रुपये के उच्चतम निशान तक पहुंच गया है.”
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सभी वाहनों के लिए फास्टैग को अनिवार्य बनाने के केंद्र सरकार के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस बोपन्ना और जस्टिस वी. रामसुब्रमणियन की तीन सदस्यीय बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट में जाएं. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी.
गौरतलब है कि सरकार ने 15 फरवरी की मध्य रात्रि से फास्टैग को अनिवार्य बना दिया है और जिस वाहन में फास्टैग नहीं लगा है उसे देश भर के इलेक्ट्रॉनिक टोल प्लाजा पर दोगुना भुगतान करना होगा. इस निर्णय का आम जनता में वहीं विरोध भी देखा जा रहा है, ग्रामीण क्षेत्र ही नहीं शहरी क्षेत्रों के कई लोग हैं जिन्हें अब तक बाहर नहीं जाना पड़ा है, लेकिन जब उन्हें अचानक से अपने शहर या ग्रामीण क्षेत्र से किसी अन्य जिले में जाना पड़ रहा है तो केंद्र के नियमानुसार FASTag की अनिवार्यता और उनके पास इसके नहीं होने पर उन्हें दोगुना भुगतान करना पड़ रहा है, इसके चलते वे मोदी सरकार को कोसते हुए नजर आ रहे हैं,
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