मंदसौर। मालवांचल की सबसे प्रमुख फसल अफीम (Afim) के डोडों से अफीम निकलने को तैयार है। किसानों ने खेतों में मां कालिका और गणेशजी की पूजा कर डोडों में चीरा लगाने का कार्य शुरू कर दिया है। अब प्रतिदिन डोडों से अफीम निकलेगी और सुबह-सुबह किसान उसे बर्तन में एकत्र कर घरों में सुरक्षित रखेंगे। अब किसानों का एक घर खेत भी बन गया है। रखवाली के लिए यहां 24 घंटे कोई न कोई सदस्य मौजूद रहेगा।
जिले में पहले चरण में बोई गई अफीम (Afim) की फसल में डोडे तैयार हो गए हैं। अनेक गांवों के अफीम काश्तकारों ने शुभ मुहूर्त में मां कालिका और भगवान गणेश की पूजा कर डोडे पर चीरा लगाने का काम प्रारंभ कर दिया है। किसान अफीम फसल की शुरूआत से ही बच्चों की तरह देखभाल करते हैं। काले सोने की रखवाली के लिए खेतों पर ही हर समय किसान व परिवार के सभी सदस्य डटे हुए हैं। अफीम के डोडो में चीरा लगाने के साथ ही अब खेतों में अफीम की देखरेख के लिए किसानों की चिंता बढ़ गई है। कंजरों, चोरों और रोजड़ों के आंतक से किसान डरे हुए हैं तो पिछले वर्ष हुई डोडा चोरी की घटनाओं ने भी उनकी चिंता बढ़ा रखी है। यही वजह है कि किसान व परिवार के सदस्य अफीम फसल की रखवाली में जुटे हुए हैं। खेतों पर ही किसानों की सुबह, शाम और रात हो रही है। परिवार के सदस्य भी खेत पर मौजूद हैं।
अफीम (Afim) का तौल होने तक यह है किसानों के लिए चुनौती
– नीलगायों से अफीम की फसल बचाना, नीलगाय भी अफीम बढ़ी चाव से खाती हैं।
– तोतों व अन्य पक्षियों को भी खेत से दूर रखना, तोते व पक्षी चोच से डोडों में छेद कर देते हैं जिससे सारी अफीम बाहर गिर जाती है।
– हरे डोडों को चोरों से बचाना, दो-तीन सालों से खेतों से सीधे हरे डोडे चोरी होने की घटनाएं बढ़ी हैं।
– अफीम के कुंडे की भी रखवाली करना, रोजाना डोडो से निकलने वाली अफीम को एकत्र कर कुंडे में रखते हैं उसको भी चोरों व लुटेरों से बचाना है।
अफीम (Afim) की फसल रोग ग्रस्त होने की शिकायत
कुछ किसानों की शिकायत है कि काला सोना के नाम से प्रसिद्ध अफीम की फसल इस वर्ष एकाएक खाँखरिया रोग से ग्रसित होकर बिगड़ गई है इससे हजारों किसानों के लाइसेंस प्रभावित होने की संभावना है। किसानों ने केंद्र सरकार से इस वर्ष राहत की मांग की है किसानों का कहना है कि इस वर्ष पौधों में खाखरिया कोडीया,जड़, सड़न और पर्याप्त वृद्धि नहीं होने से यह फसल प्रभावित हुई है। ऐसा वायरस पहले कभी नहीं आया, इस वायरस ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। इस रोग से 100 में से 90 लाइसेंस प्रभावित हो रहे हैं किसानों को चिंता है कि कहीं औसत नहीं देने की स्थिति में सरकार लाइसेंस रद्द न कर दे।
निम्बोद के किसान देवराम कुमावत ने बताया कि इस वर्ष अफीम की हाइट भी छोटी है तथा कृषि दवाइयां भी वायरस को नहीं रोक पा रही है, किसान परेशान है। आकोदडा के कृषक योगेंद्र जोशी और गोपाल पाटीदार ने बताया कि खाखरिया एकाएक बढ़ने से पूरा खेत रोग ग्रस्त हो गया है पूरा खेत पीला-पीला दिखने लगा और रोग से डोडो की साइज भी नहीं बढ़ी और चीरा देने के बाद भी दूध प्रभावित हो रहा है। केंद्र सरकार इस वर्ष 30 की औसत पर लाइसेंस दें।
सेमलिया हीरा के कृषक माँगीलाल पाटीदार ,महेश पाटीदार ने कहा कि अफीम की फसल इस वर्ष पूरी की पूरी खराब हो गई है अफीम के लिए विनाशकारी वायरस आने से किसान कुछ भी करने की स्थिति में नहीं है महंगी महंगी दवाइयां देने के बाद भी रोकथाम नहीं हो रहा है किसान आर्थिक रूप से भी परेशान हो चुका है दवाई विक्रेता भी किसानो का शोषण कर रहे है।नारकोटिक्स विभाग और केंद्र सरकार किसानों के हित में संज्ञान लेकर राहत प्रदान करें। एजेंसी