कोलंबो। भारत के साथ विवाद की स्थिति बनने के डर से श्रीलंका ने अपनी संसद में, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के प्रस्तावित भाषण को कैंसल कर दिया है. Colombo Gazette में ‘Sri Lanka avoids clash with India by cancelling Khan’s Parliament speech’ शीर्षक से छपी अपनी रिपोर्ट में डार जावेद ने कहा है कि श्रीलंकाई सरकार ऐसे वक्त में भारत सरकार के साथ अपने रिश्तों को खतरे में नहीं डाल सकती, जब वो चीन के कर्ज के जाल में फंसती जा रही है और भारत कोविड-19 वैक्सीन्स का निर्यात कर कई देशों की मदद कर रहा है. भारत ने हाल ही में श्रीलंका को Covishield वैक्सीन के पांच लाख डोज़ गिफ्ट में दिए हैं.
जावेद ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने 2012 में तालिबान का यह कहकर समर्थन किया था कि आतंकी गतिविधियां ‘जिहाद’ हैं, जिन्हें इस्लामिक लॉ में सही बताया गया है. उन्होंने आगे लिखा है कि ‘उन्होंने मुस्लिम उद्देश्यों को उठाने के लिए संयुक्त राष्ट्र की महासभा का इस्तेमाल किया था, जोकि अकसर दूसरे देशों के आंतरिक मुद्दों से उलझते दिखाई देते हैं. अक्टूबर, 2020 में उन्होंने मुस्लिम प्रधान देशों से तब विरोध करने को कहा था, जब फ्रेंच राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रो ने एक कट्टरपंथी की ओर से एक टीचर की हत्या किए जाने पर चिंता जताई थी. उन्होंने ऐसे देशों के नेताओं से लिखकर कहा कि वो ‘गैर-मुस्लिम प्रधान देशों में बढ़ रहे इस्लामोफोबिया का विरोध करें.’
पिछली घटनाओं को देखा जाए तो ऐसा कहा जा सकता है कि ‘उन्हें संसद में बोलने का मौका देना मौत से खेलने के बराबर होगा. वो इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल ऐसी बातें करने के लिए करेंगे, जिससे श्रीलंका के बौद्ध समुदाय और राजपक्षे सरकार दोनों के सामने चिंताजनक परिणाम खड़े होंगे.’ जावेद ने आगे लिखा है, ‘जिस तरह इमरान खान ने श्रीलंका के मुस्लिम नेताओं की अपील को स्वीकार किया था, उससे साफ था कि वो अल्पसंख्यकों के शोषण का मुद्दा अपने भाषण के दौरान उठाएंगे.’
इसके पहले, All-Ceylon Makkal Congress के नेता रिशद बथिउद्दीन ने पाकिस्तानी सरकार से श्रीलंकाई सरकार के उस कोविड-19 गाइडलाइन पर दखल देने की मांग की थी, जिसके तहत वायरस से मरने वाले लोगों का शवदाह कराया जा रहा है. इमरान खान ने शवों को दफनाए जाने को लेकर सार्वजनिक तौर पर टिप्पणी की थी.
इसके इतर, एक ओर इमरान खान जहां दूसरे देशों में मुस्लिम समुदाय के साथ होने वाले व्यवहार का मुद्दा उठा रहे हैं, वहीं, दूसरी ओर यूनाइटेड नेशंस के महिलाओं की स्थिति के आयोग ने एक रिपोर्ट में कहा है कि उनके देश में धार्मिक आजादी पर स्थिति लगातार खराब हो रही है. आयोग ने कहा है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग दूसरे दर्जे के नागरिक के तौर पर देखे जाते हैं. इसके अलावा, पाकिस्तान में हाल ही में कई बौद्धिक हेरिटेज साइट्स को ढहा दिया गया था
जबसे ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन ने कश्मीर मुद्दे को उठाने के पाकिस्तान के प्रस्ताव को ठुकराया है, तबसे इमरान खान मुस्लिम देशों का सहयोग पाने और खुद को वैश्विक मुस्लिम मंच पर चैंपियन साबित करने को आमादा हो चुके हैं. ऐसे में बौद्ध-प्रधान देश की ओर से वहां की संसद में भाषण देने का मौका वापस लिए जाने से इमरान खान के लिए शर्मिंदगी भरी स्थिति बन चुकी है.
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