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    चायपत्ती बेचने वाला दीपक मद्दा ही सोसायटियों का मास्टर माइंड

  • February 19, 2021

     

    मामूली ब्रोकर के रूप में जमीनी कारोबार से जुड़ा और चंद वर्षों में जालसाजी-धोखाधड़ी कर बन गया भूमाफियाओं का सरदार
    इंदौर। पहली बार पुलिस प्रशासन के चंगुल में फंसा दीपक मद्दा उर्फ दीपक जैन उर्फ दिलीप सिसौदिया (Dilip Sisodia) असल में अधिकांश सोसायटियों का मास्टर माइंड (Master Mind) रहा है। रतलाम से इंदौर आकर शुरुआत में चायपत्ती की दुकान लाने वाले दीपक मद्दा ने लगभग 15 साल पहले मामूली ब्रोकर (Broker) के रूप में जमीनी कारोबार में प्रवेश किया और चंद वर्षों में ही भूमाफियाओं का सरदार बन बैठा। हिना पैलेस से लेकर एक दर्जन से अधिक गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनें न सिर्फ कबाड़ी, बल्कि अपने नाम भी करवा लीं। यहां तक कि पत्नी के नाम पर बनाई कंस्ट्रक्शन फर्म (Construction Firm) में भी संस्थाओं की जमीनें शामिल कर लीं।


    वर्ष 2009 में भी जब पहली बार गृह निर्माण संस्थाओं के फर्जीवाड़े में माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई हुई थी, तब भी दीपक जैन फरार होकर बच निकला और बाद में जमानत हासिल कर ली। इसके बाद जब पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ  (Kamal Nath) ने भी ऐसा अभियान चलवाया, तब भी बॉबी सहित चिराग-चम्पू और अन्य भूमाफिया तो जेल भी गए, लेकिन राजनीतिक और अफसरों के वरदहस्त के चलते दीपक मद्दा बच निकला। जबकि हरियाणा, देवी अहिल्या, कष्ट निवारण, श्रीराम, जय हिंद, पुष्प विहार, नागौरी से लेकर तमाम गृह निर्माण संस्थाओं में दीपक जैन मुख्य सरगना रहा। यहां तक कि बॉबी छाबड़ा को भी सोसायटियों का ज्ञान-गणित तक मद्दा ने ही दिया और सुरेंद्र संघवी के साथ मिलकर जमीनों के कई बड़े खेल निपटाए। सालों पहले रतलाम से इंदौर आने पर राजमोहल्ला में चायपत्ती बेचने की छोटी सी दुकान डाली और उसके बाद प्रॉपर्टी ब्रोकर का काम शुरू किया। जब बायपास बन रहा था उसके पहले दीपक गुप्ता की भागीदारी में ब्रोकरेज का काम किया और 2005-06 में फिर सोसायटियों की जमीनों पर इस जालसाज और धोखाधड़ी में माहिर दीपक मद्दा की नजर पड़ी। फिर एक-एक कर सोसायटियों की जमीनें हड़प करना शुरू कर दीं और चंद वर्षों में ही सोसायटियों का सबसे बड़ा मास्टर माइंड बन गया। पूर्व में उसके न्यू पलासिया स्थित दफ्तर पर भी पुलिस ने छापा मारा था। बब्बू-छब्बू से लेकर कई गुंडों का भी सहारा जमीनों पर अवैध कब्जे करने, सदस्यों को धमकाने से लेकर अन्य गड़बडिय़ों में लिया। पुलिस-प्रशासन ने कल जिन 18 जमीनखोरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई, उनमें दीपक मद्दा का नाम भी शामिल है, जिसके खिलाफ आधा दर्जन एफआईआर अयोध्यापुरी, पुष्प विहार से लेकर हिना पैलेस जमीन घोटाले में दर्ज हुई हैं। पहली बार सोसायटियों का यह मास्टर माइंड चंगुल में फंसा है, जो बीते 15 सालों से सफेदपोश बनकर घूम रहा था। हालांकि अभी भी छापे की भनक से पहले दीपक मद्दा भी अन्य आरोपियों की तरह फरार हो गया। खजराना में हिना पैलेस के खिलाफ भी नगर निगम ने एफआईआर दर्ज करवाई, जिसमें चार संस्थाओं की जमीनें हड़प ली गईं।


    भाई के साथ साले को भी उलझा डाला
    धोखाधड़ी और जालसाजी में माहिर दीपक जैन उर्फ दीपक मद्दा ने जहां पीडि़तों की जमीनें हड़पीं, वहीं सोसायटियों पर कब्जे कर अपने नजदीकी रिश्तेदारों को भी उलझा दिया। दीपक मद्दा के भाई कमलेश जैन को भी पुलिस-प्रशासन ने आरोपी बनाया है, जबकि उसे सोसायटियों के खेल की कोई जानकारी नहीं है और उसकी पत्नी अचार, पापड़, बड़ी बनाकर घर चलाती है। वहीं दीपक मद्दा ने अपने साले दीपेश वोरा को मजदूर पंचायत में अध्यक्ष बना दिया। उसके खिलाफ भी पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। यानी दीपक मद्दा ने अपने भाई और साले को भी धोखाधड़ी में उलझा दिया। इसी तरह मजदूर पंचायत के 90 लाख रुपए के भुगतान में रमेश जैन भी जबरन उलझ गए, जिनकी साख संस्था में नंदानगर संस्था से राशि ट्रांसफर हुई।


    लूटी जमीन दान देकर बना फर्जी समाजसेवी
    सालभर पहले दीपक मद्दा ने पत्नी समता जैन के साथ मोहनखेड़ा में जैन संत ऋषभ विजय महाराज को लगभग 30 हजार स्क्वेयर फीट जमीन दान में दी। मजे की बात यह है कि ये जमीन भी दीपक मद्दा ने वैध तरीके से अर्जित नहीं की, बल्कि संस्था के सदस्यों की जमीन हड़पकर दान कर खुद को समाजसेवी के रूप में निरूपित करने के बेशर्म प्रयास किए, जिसकी पोलपट्टी अब सार्वजनिक रूप से खुल गई। लूट की लगभग 15 से 20 करोड़ की जमीन दान करने वाले को पुलिस-प्रशासन ने सबसे बड़ा भूमाफिया घोषित कर दिया है। दरअसल दीपक मद्दा ने संस्थाओं की कई जमीनें पत्नी के नाम पर बनाई समता कंस्ट्रक्शन नामक फर्म में भी ट्रांसफर कर दी हैं। उसकी भी पुलिस-प्रशासन द्वारा जांच की जाएगी।


    खुद की जमीनें बेच किराए के घर में रहने की नौटंकी भी
    शातिर दीपक जैन ने जहां अपने दो-दो नाम रखे हुए हैं। कहीं वह दीपक जैन तो कहीं दिलीप सिसौदिया के रूप में काम करता है, वहीं प्रगति विहार में 40-40 हजार स्क्वेयर फीट के दो बड़े भूखंडों को बेचकर फिलहाल गुलमोहर कालोनी में किराए के मकान में रहने की नौटंकी कर रहा है। इसके पहले छप्पन दुकान के पास स्थित मल्टी में दीपक मद्दा रहता था और इसने अन्य जमीनें भी कई नामों से कबाड़ रखी हैं।

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