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    पुडुचेरी में मुश्किल में घिरी कांग्रेस, चुनाव से ठीक पहले अल्पमत में आई नारायणस्वामी सरकार

  • February 16, 2021

    नई दिल्ली। केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी (Puducherry) में इस साल चुनाव होने हैं। इसी बीच कांग्रेस (Congress) को राज्य में एक बड़ा झटका लगा है। यहां 4 विधायकों के इस्तीफे (Congress MLA Resigns) और एक विधायक के अयोग्य घोषित (MLA disqualified) होने के चलते पार्टी ने बहुमत खो दिया है। खास बात है कि बुधवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) चुनावी रणनीति पर चर्चा करने पुडुचेरी पहुंच रहे थे। इससे पहले ही कांग्रेस नेताओं के पार्टी छोड़ने की बातें सामने आईं।


    5 विधायकों के नुकसान के चलते कांग्रेस को पुडुचेरी में भारी कीमत चुकानी पड़ी है। पार्टी राज्य में बहुमत खो चुकी है। बीते कुछ दिनों में एक के बाद एक कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफे दे दिए हैं। कुछ ने तो ट्विटर के जरिए अपने इस्तीफे की घोषणा की है। 2016 के विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) में कांग्रेस ने 15 सीटों पर जीत दर्ज की थी। उसके गठजोड़ सहयोगी डीएमके को 4 सीटों पर जीत मिली थी। साथ ही एक निर्दलीय उम्मीदवार ने भी इन्हें समर्थन दिया था।

    इससे उलट एनआर कांग्रेस ने 7, तो सहयोगी AIADMK ने 4 सीटों पर जीत का परचम लहराया था। हालांकि, लेफ्टिनेंट गवर्नर किरण बेदी ने बीजेपी के तीन लोगों को वोटिंग के अधिकार दे दिए थे। जिसके चलते 30 सदस्यीय सभा की गिनती बढ़कर 33 हो गई थी।


    किरण बेदी पर आरोप : पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणस्वामी ने लेफ्टिनेंट गवर्नर पर काम नहीं करने देने के आरोप लगाए थे। हाल ही में उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर बेदी के खिलाफ मेमोरेंडम सौंपा था। नारायणस्वामी ने राष्ट्रपति से मामले में दखल देने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि लेफ्टिनेंट गवर्नर की तरफ से अधिकारियों को धमकियां मिल रही हैं। इसके चलते वे खुले माहौल में अपने कर्तव्यों पूरे नहीं कर पा रहे हैं।

    पुडुचेरी को तमिलनाडु में मिलाने का दावा : सीएम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बेदी पर पुडुचेरी का दर्जा बदलने के आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया है कि वे केंद्र शासित राज्य को तमिलनाडु में मिलाना चाहते हैं। उन्होंने कहा ‘भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर प्रधानमंत्री और लेफ्टिनेंट गवर्नर धीमे-धीमें पुडुचेरी सरकार को उसकी ताकतों से वंचित कर रहे हैं। और चुनी हुई सरकार की तरफ से लाई गईं कल्याणकारी और विकास योजनाओं में बाधा डाल रहे हैं।’

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