नई दिल्ली। निवेशक अपने निवेश (Investment) पर ज्यादा फायदा यानि कि रिटर्न चाहते हैं, लेकिन उन्हें निवेश से जुड़े जोखिम का अंदाजा नहीं होता कि जरा सी असावधानी में उनकी पूंजी डूब सकती है। यहां तक कि शेयर बाजार में भी यही हॉल असावधानी के चलते ही लोग अपना पैसा गंवा देते हैं। अगर सही विकल्प चुने तो आपका पैसा कहीं नहीं डूबेगा। सचाई यह है कि कम जोखिम के साथ बेहतरीन रिटर्न नहीं कमाया जा सकता।
निवेश के किसी विकल्प को चुनते वक्त आपको जोखिम उठाने की अपनी क्षमता के बारे में जानना-समझना जरूरी है। कुछ निवेश ऐसे हैं जिनमें लंबी अवधि में अधिक जोखिम के साथ अधिक रिटर्न का मौका मिलता है। बात करे हैं बैंक के बारे में जहां बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) कभी निवेश के लिए सबसे सुरक्षित, आसान और बेहतरीन रिटर्न के कारण लोगों का पसंदीदा निवेश विकल्प (Investment Option) रहा है। अब गिरती ब्याज दर (Low Interest Rates) की वजह से ये आकर्षक रिटर्न नहीं दे पा रहा है।
सबसे ज्यादा अगर फायदा मिलता है तो वो है म्युचुअल फंड (Mutual Fund), बॉन्ड (Bonds), पीपीएफ (PPF) समेत कई इस्कीम हैं, लेकिन निवेशक ऐसी एसेट क्लास (Asset class) की तलाश में हैं, जो लॉन्ग टर्म यानी कम से कम 20-25 साल तक बेहतर रिटर्न दे सकें। निवेश सलाहकार और सीए हरिगोपाल पाटीदार बताते हैं कि इस लिहाज से गारंटीड रिटर्न प्लान (Guaranteed Return Plan) निवेश के लिए बेहतर हो सकते हैं। इसमें रिटर्न FD से अच्छा मिलता ही है, यह पूरी तरह टैक्स फ्री होता है। साथ में जीवन बीमा भी मिल जाता है।
गारंटीड रिटर्न प्लान्स में निवेश करने वाले व्यक्ति को वार्षिक प्रीमियम (Yearly Premium) का 10 गुना रिस्क कवर भी मिलता है। जैसे कि यदि कोई व्यक्ति सालाना 2 लाख रुपए निवेश करता है और किसी कारण से उसका निधन हो गया है, तब आश्रितों को 20 लाख रुपए मिलेंगे।
ज्यादातर सरकारी बैंकों की तरफ से दी जा रही लंबी अवधि की जमा पर ब्याज दर 5.4 फीसदी है। ऐसे में 30 प्रतिशत टैक्स ब्रैकेट में आने वाले निवेशकों के लिए, निवेश किए गए धन पर टैक्स रिटर्न 4 प्रतिशत से भी कम बैठेगा।
बाजार में कुछ गारंटीड रिटर्न प्लान्स ऐसे भी हैं, जिसमें यदि कोई 30 वर्षीय व्यक्ति रिटायरमेंट फंड के लिए 30 साल की पॉलिसी अवधि के साथ हर महीने 5,000 रुपए का निवेश करता है तो मैच्योरिटी पर करीब 50 लाख रुपए एकमुश्त मिल सकते है।
PPF में 20 साल पहले सालाना 11-12 प्रतिशत ब्याज मिलता था. अब यह केवल 7.1 प्रतिशत ब्याज दे रहा है। इसी तरह साल 2014 में बैंक एफडी पर ब्याज दर 8.5 प्रतिशत थी। यह 2020 तक घटकर 5.4 प्रतिशत रह गई। दिक्कत यहीं खत्म नहीं होती। अगले कुछ वर्षों में इन ब्याज दरों में 3-5 प्रतिशत तक गिरावट आने का अंदेशा है क्योंकि देश विकसित अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
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