नई दिल्ली । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को गणतंत्र दिवस परेड-2021 का सर्वश्रेष्ठ मार्चिंग दस्ते का पुरस्कार जाट रेजिमेंट को प्रदान किया। रक्षा मंत्रालय की निर्णायक समिति ने गणतंत्र दिवस की परेड के दौरान तीनों सेनाओं में जाट रेजिमेंट की टुकड़ी को प्रथम घोषित किया था। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और अन्य सहायक बलों के बीच दिल्ली पुलिस के मार्चिंग दस्ते को सर्वश्रेष्ठ चुना गया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज जाट रेजिमेंट और दिल्ली पुलिस को ट्रॉफी सौंपी। इस मौके पर सैन्य बलों के प्रमुख सीडीएस जनरल बिपिन रावत, सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे और रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार भी मौजूद थे।
गणतंत्र दिवस परेड-2021 में हिस्सा लेने वाले मार्चिंग दस्ते, झांकियों के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए एक निर्णायक समिति बनाई गई थी। मार्चिंग दस्ता निकालने वाली तीनों सेनाओं के बीच जाट रेजिमेंटल सेंटर को सर्वश्रेष्ठ मार्चिंग दल के रूप में चुना गया था। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इसका चयन पैनल के आकलन और अन्य प्रतियोगियों की प्रतिस्पर्धी प्रस्तुति के परिणामों के आधार पर किया गया। इसी तरह केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और अन्य सहायक बलों के बीच दिल्ली पुलिस के मार्चिंग दस्ते को सर्वश्रेष्ठ चुना गया।
जाट रेजिमेंट भारतीय सेना की पैदल सेना का हिस्सा है। यह सबसे लंबे समय तक सेवारत और सबसे सुसज्जित रेजिमेंटों में से एक है। इस रेजिमेंट ने 1839 और 1947 के बीच 19 युद्ध सम्मान जीते हैं। स्वतंत्रता के बाद जाट रेजिमेंट को पांच युद्ध सम्मान, आठ महावीर चक्र, आठ कीर्ति चक्र, 32 शौर्य चक्र, 39 वीर चक्र और 170 सेना पदक जीते हैं। अपने 200 साल के सेवा इतिहास के दौरान इस रेजीमेंट ने भारत और विदेशों में विभिन्न कार्यों में भाग लिया है, जिसमें प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध शामिल हैं।
इस रेजिमेंट की उत्पत्ति कलकत्ता नेटिव मिलिशिया से हुई थी, जिसका गठन 1795 में किया गया था, जो बाद में बंगाल सेना की पैदल सेना की एक बटालियन बन गई। 1860 के बाद ब्रिटिश भारतीय सेना में जाटों की भर्ती में पर्याप्त वृद्धि हुई। द क्लास रेजिमेंट, द जाट्स, शुरू में 1897 में बंगाल सेना की पुरानी बटालियनों की पैदल सेना इकाइयों के रूप में बनाई गई थी। पहली बटालियन का गठन 1803 में 22वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री के रूप में किया गया था। इसके बाद दूसरी और तीसरी बटालियन क्रमशः 1817 और 1823 में गठित की गई थी। सभी तीन बटालियनों ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान कई सम्मानजनक जीत हासिल की। जनवरी, 1922 में भारतीय सेना की रेजिमेंटों के वर्गीकरण के समय 9वीं जाट रेजिमेंट का गठन चार सक्रिय बटालियनों और एक प्रशिक्षण बटालियन का विलय करके किया गया था।
देश की आजादी के बाद 1947-1948 के भारत-पाकिस्तान युद्ध, 1962 के चीन-भारतीय युद्ध, 1965 और 1971 में पाकिस्तान के साथ संघर्ष और श्रीलंका एवं सोरचेन में जाट रेजिमेंट ने भाग लिया। 1999 के कारगिल युद्ध में जाट रेजिमेंट की बटालियनों में से पांच ने भाग लिया। जाट रेजिमेंट ने कोरिया और कांगो में संयुक्त राष्ट्र मिशनों में भी योगदान दिया है। यह आतंकवाद रोधी अभियानों में भी शामिल रही है और आजादी के बाद से भारतीय सेना का मजबूत हिस्सा है।
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