नई दिल्ली। लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोले कि सरकार धरना दे रहे किसानों का पहले भी सम्मान करती थी और अब भी करती है। सरकार किसानों से लगातार वार्ता कर रही है और सम्मान के साथ कर रही है। वो इस मामले को निपटाना चाहती है। बातचीत होती रही है। पंजाब में जब आंदोलन चल रहा था तब भी बात हो रही थी।
बातचीत में शंकाएं दूर करने का प्रयास किया गया। विषय को विस्तार से बताया गया, क्लोज बाइ क्लोज चर्चा की गई। अगर कानून में कोई कमी हो तो उसे सचमुच बदलने में कुछ नहीं जाता है। कानून देशवासियों के लिए है। हम इंतजार कर रहे हैं। वो हमें जो भी बता रहे हैं हम उसको करने के लिए तैयार है। इसलिए जब किसान पंजाब में थे तो भी बात की जा रही थी। अब जब वो वहां से दिल्ली की सीमा में आ गए तो भी कई दौर की बात की जा चुकी है।
पीएम के भाषण के दौरान कई बार टोकाटोकी की गई। एक बार तो वो बैठ गए, फिर उठे और अपनी बात को रखा। आड्रिनेस के द्वारा ही तीन कानून बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि कानून लागू होने के बाद न मंडी बंद हुई, न एमएसपी बंद हुई। इतना ही नहीं एमएसपी की खरीदी भी बढ़ी है। नया कानून बनने के बाद अधिक बढ़ी है।
उन्होंने कहा कि बिना बात के हो हल्ला किया जा रहा है, रिकॉर्ड में रूकावट डालने का प्रयास, झूठ फैलाया जा रहा है। ऐसे लोगों का खेल खत्म हो जाएगा इसलिए ऐसा किया जा रहा है। इस तरह से करके विश्वास नहीं जीत पाएंगे। पार्लियामेंट में कानून बनने के बाद पहले से जो हक उनके पास थे, व्यवस्थाएं उनके पास थी। वो कुछ भी छीनी गई है क्या? सब कुछ वैसे का वैसे ही है। एक अतिरिक्त विकल्प व्यवस्था दी गई है वो सब वैसे ही चल रही है तो विरोध क्यों किया जा रहा है। आपको जहां मर्जी है वहां जाइए। ये व्यवस्था की गई है उसके बाद भी ऐसा किया जा रहा है।
अधीर रंजन को कहा कि अब ज्यादा हो रहा है। इसके बाद वो बैठे। उन्होंने कहा कि अच्छा नहीं लगता है, आप ऐसा क्यों कर रहे हैं। हद से अधिक क्यों कर रहे हैं। ये कानून किसी के लिए बंधनकर्ता नहीं है। उनके लिए विकल्प है। विरोध का कोई कारण नहीं बनता है। अब सब कुछ संभावनाओं पर किया जा रहा है। बीते कई सालों से इस तरह के निर्णय से ऐसी अफवाह फैलाई जा रही है। ये चिंता की बात है।
पुरानी मंडियों पर भी कोई पाबंदी नहीं है। इन मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए और बजट की व्यवस्था की गई है। उनके माध्यम से सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय की भावना के साथ किए गए हैं। कुछ दलों ने बड़े जोर शोर से अपनी बातें कहीं लेकिन जिन बातों को लेकर उनको कहना चाहिए उन्होंने ऐसा नहीं किया है।
एक बात ये भी कही जा रही है कि जब हमने मांगा नहीं तो हमें दिया क्यों, अब उनको ये भी समझना चाहिए कि लेना न लेना आपकी मर्जी है। किसी ने किसी के गले मढ़ा नहीं है। कुछ शहरों में इसका लाभ होगा लेकिन सभी जगह ऐसा हो ये आवश्यक नहीं है। देश में दहेज के खिलाफ कानून बने इसकी मांग नहीं की गई थी मगर कानून बना। समाज की प्रगति के लिए कानून आवश्यक है इसलिए इसे बनाया गया है। कई ऐसे कानून बनाए गए हैं जिनकी समय के साथ आवश्यकता है इसलिए इन कानूनों में भी बदलाव किया गया है।
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