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    INS Viraat की जिन्दगी बचाने का फैसला, सुप्रीम कोर्ट ने पोत को तोड़ने पर लगाई रोक

  • February 10, 2021

    नई दिल्ली । आखिरकार तीस साल तक देश की सेवा करने वाले आईएनएस विराट की जिन्दगी बचाने का फैसला बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया लेकिन यह आदेश तब आया है, जब इस विमान वाहक पोत को आधा तोड़ा जा चुका है। इससे पहले जहाज को टूटने से बचाने की मांग रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry)भी खारिज कर चुका है। इस पर मुंबई की कंपनी एनविटेक मरीन कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड (ENVITECH MARINE CONSULTANTS PRIVATE LIMITED)ने पहले बॉम्बे हाईकोर्ट और फिर इसके बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की शरण ली थी। यही कंपनी गोवा की ज़ुआरी नदी में जहाज को समुद्री संग्रहालय में बदलना चाहती है। यह इकलौता लड़ाकू विमान वाहक पोत है, जिसने ब्रिटेन और भारत की नौसेना में सेवाएं दी हैं।


    ‘ग्रांड ओल्ड लेडी’ (Grand Old Lady )के नाम से पहचाना जाने वाला आईएनएस विराट मई​, 1987 में भारतीय नौसेना के परिवार का हिस्सा बना था। देश को 30 साल की सेवा देने के बाद इसे 6 मार्च, 2017 को रिटायर कर दिया गया था। इसके बाद ‘विराट’ को संग्रहालय या रेस्तरां में बदलकर ‘जीवनदान’ देने की भी कोशिशें हुईं लेकिन इसी बीच गुजरात के अलंग स्थित श्रीराम ग्रुप (Shriram Group)ने 38.54 करोड़ रुपये की बोली लगाकर जहाज को अपने नाम कर लिया। इस​के बाद यह जहाज​ 19 सितम्बर को ​मुंबई स्थित डॉकयार्ड ​से ​भावनगर ​​(गुजरात​) ​​जिले के अलंग में दुनिया के सबसे बड़े जहाज विघटन यार्ड में पहुंचाया ​गया। इस बीच मुंबई की कंपनी एनविटेक मरीन कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड जहाज को ‘जीवनदान’ देकर समुद्री संग्रहालय में बदलने के लिए आगे आई।

    श्रीराम ग्रुप के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मुकेश पटेल जहाज को 100 करोड़ रुपये में इस कंपनी को बेचने के लिए तैयार भी हो गये लेकिन उन्होंने सरकार के अनापत्ति प्रमाण पत्र की मांग रख दी। इस पर कंपनी के परिचालन निदेशक विष्णुकांत ने रक्षा मंत्रालय से NOC मांगा और न मिलने पर बॉम्बे हाईकोर्ट(Bombay HighCourt) की शरण ली। उनका कहना है कि हमें सरकार से एनओसी के अलावा कुछ नहीं चाहिए, हम सारा पैसा लगा देंगे। उन्होंने कहा कि मेरे पिता नौसेना में थे। पूरे देश की भावना आईएनएस विराट के साथ जुड़ी हुई है। हम युद्धपोत को बचाने और इसे संग्रहालय में बदलने के लिए एक सार्वजनिक-निजी-साझेदारी (पीपीपी) मॉडल पर काम करने की कोशिश कर रहे हैं। ​​इस युद्धपोत ने नवम्बर 1959 से अप्रैल 1984 तक (25 साल) एचएमएस हर्मीस के रूप में ब्रिटिश नौसेना की सेवा की। इसके बाद 30 साल तक गर्व से भारत की सेवा करने के बाद रिटायर हुआ। ​​​

    ​उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे लंबे समय तक सेवा देने Guinness Book of World Records में   दर्ज युद्धपोत को गोवा की जुआरी नदी के किनारे ‘प्रमुख विरासत स्थल’ में बदलने की योजना बनाई है, जिसमें समुद्री विमानन संग्रहालय एवं भारतीय नौसेना की उपलब्धियों और इतिहास के बारे में बताया जाएगा। इसमें विमान प्रदर्शनी, कन्वेंशन हॉल, रेस्तरां, प्रदर्शनी केंद्र, परेड ग्राउंड आदि होंगे। इसे आर्थिक रूप से ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए परियोजना के चारों ओर एक पूर्ण पर्यटन स्थल का निर्माण किया जाएगा। यह परियोजना न केवल देश के लिए एक नई संपत्ति होगी, बल्कि इससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे और राज्य पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।

    ​इस बीच ब्रिटिश हेर्मस विराट हेरिटेज ट्रस्ट ने दिसम्बर, 2020 में ब्रिटिश प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर सुझाव दिया था कि यदि आईएनएस विराट को बचाने के सभी प्रयास विफल होते हैं, तो यह युद्धपोत यूनाइटेड किंगडम को वापस दे दिया जाए ताकि इसे एक समुद्री संग्रहालय में बदला जा सके। ट्रस्ट ने लिखा था कि मजबूत समुद्री विरासत वाले शहर लिवरपूल सिटी सेंटर​ ​के सामने एक विश्व स्तरीय समुद्री संग्रहालय बनाने की योजना है। 23,900 टन के इस विमान वाहक पोत ने 30 साल भारतीय नौसेना की सेवा करने से पहले ब्रिटिश की शाही नौसेना में एचएमएस हर्मीस के रूप में रहने का भी गौरव हासिल किया।

    मुंबई की कंपनी और गोवा सरकार ने इस महान योद्धा को जीवनदान देने के लिए रक्षा मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगा लेकिन एनओसी न मिलने पर बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया गया। ​मंत्रालय ने कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में साफ कर दिया कि विराट को संग्रहालय में बदलने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं दिया जा सकता। ​इसके बाद ​जब जहाज को तोड़ने की शुरुआत कर दी गई तो कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली।​ ​सुप्रीम कोर्ट ने आईएनएस विराट को तोड़ने पर ​आज ​रोक लगा दी है​ लेकिन अब तक यह जहाज आधा तोड़ा जा चुका है​। सुप्रीम कोर्ट ने ​मुंबई की ​​उस कंपनी को ​भी ​नोटिस जारी किया है,​ ​जिसने जहाज को तोड़ने ​के बजाय इसे संरक्षित कर म्यूजियम में तब्दील करने की अनुमति मांगी है।​

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