काठमांडू । नेपाल (Nepal) के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली (Prime Minister P. Sharma Oli) ने कहा है कि भारत (India) के साथ सीमा मुद्दे का समाधान गंभीर राजनयिक प्रयासों और राजनीतिक वार्ता के माध्यम से तथ्यों, साक्ष्यों, समानता, सम्मान और न्याय के साथ होना चाहिए, न कि नाहक प्रभाव एवं दबाव में झुककर होना चाहिए।
प्रधानमंत्री ओली ने ‘नेपाल के अंतरराष्ट्रीय सीमा सुरक्षा और प्रबंधन में सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय’ विषय पर एक सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि नेपाल लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी पर भारत के साथ तथ्यों एवं दस्तावेजी साक्ष्य के आधार पर खुले एवं दोस्ताना माहौल में बात करेगा।
ओली (68वर्षीय) ने कहा, ‘‘तथ्यों और साक्ष्य, समानता, सम्मान, गरिमा और न्याय के आधार पर हमें पड़ोसी देशों के साथ अपने संबंधों को सुधारने और मजबूत करने की जरूरत है, न कि नाहक प्रभाव और दबाव में झुककर।’’ पिछले वर्ष ओली की सरकार ने तीन भारतीय क्षेत्रों को नेपाल का हिस्सा बताते हुए नया राजनीतिक मानचित्र जारी कर सीमा विवाद को जन्म दिया था।
उन्होंने कहा कि नेपाल के लिए जरूरी है कि वह दक्षिणी पड़ोसी के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए और दोस्ती का विस्तार करे जिसके लिए ‘‘हमने नया मानचित्र प्रिंट किया है, अब भारत के साथ वार्ता करें और वार्ता के माध्यम से अपनी जमीन वापस लें। ’’ उन्होंने कहा कि भारत के साथ सुस्ता और कंचनपुर में भी सीमा विवाद है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें अपनी जमीन वापस लेने की जरूरत है, हमें कोई भी कदम तथ्यों एवं साक्ष्य के आधार पर उठाना चाहिए और हम उस आधार पर अपनी जमीन पर दावा करेंगे…हमें जमीन मुद्दे का समाधान करने की जरूरत है।’’
गौरतलब है कि नेपाल के साथ पिछले वर्ष संबंधों में तब तनाव आ गया जब उसने नया मानचित्र प्रकाशित कर तीन भारतीय क्षेत्रों लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को नेपाल का हिस्सा बताया। नेपाल के मानचित्र प्रकाशित करने के बाद भारत ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए इसे ‘‘एकतरफा कार्रवाई’’ बताया और काठमांडू को चेताया कि जमीन के ‘‘कृत्रिम’’ दावे स्वीकार्य नहीं हैं।
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