– योगेश कुमार गोयल
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में 3 से 5 फरवरी तक चली एशिया की सबसे बड़ी एयरो-स्पेस और डिफेंस प्रदर्शनी ‘एयरो इंडिया-2021’ के 13वें संस्करण में भारतीय वायुसेना ने पूरी दुनिया को अपना दमखम दिखाया। इसे एशिया की सबसे बड़ी सैन्य विमानन प्रदर्शनी कहा जाता है। एयरो-शो में दुनियाभर की कई बड़ी एयरो-स्पेस कम्पनियां भी भारत के साथ मिलकर भारत में ही अपने हथियारों का उत्पादन करने के लिए पहुंची। बेंगलुरू में तीन दिन तक चली सैन्य साजो-सामान और लड़ाकू विमानों की प्रदर्शनी में एयरो-स्पेस क्षेत्र में भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता और देश की लगातार बढ़ती ताकत को देखते हुए कुछ रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि वह दिन अब दूर नहीं, जब इस क्षेत्र में भारत दुनिया का पहले नंबर का शक्तिशाली देश होगा। मौजूदा समय में अमेरिका, उत्तर कोरिया और रूस के बाद भारतीय सैन्य शक्ति दुनिया में चौथे नंबर पर है। प्रदर्शनी में कुछ साजो-सामान असली रखे गए थे जबकि कुछ के हूबहू मॉडल और इस प्रदर्शनी में 14 देश शामिल हुए थे, जिनमें 338 वर्चुअल एग्जिबिटर्स थे। इसमें कुल 603 प्रदर्शक (525 भारत के तथा 78 अन्य देशों के) रखे गए थे। सैकड़ों कम्पनियों ने वर्चुअली अपने हथियारों और दूसरे सैन्य-साजो सामान को प्रदर्शित किया, इसीलिए इसे ‘हाईब्रीड-मोड’ प्रदर्शनी नाम दिया गया था।
तीन दिनों तक चले एयरो शो में लाखों लोग शामिल हुए, जिनमें 16 हजार से अधिक व्यक्ति प्रत्यक्ष तौर पर जबकि साढ़े चार लाख से ज्यादा वर्चुअल माध्यम से जुड़े। कोविड-प्रोटोकॉल के कारण इसबार एयरो-शो में आम लोगों को आने की अनुमति नहीं थी, इसलिए रक्षा मंत्रालय द्वारा लोगों को प्रदर्शनी वर्चुअल देखने के लिए विशेष प्रबंध किए गए थे। एयरो इंडियो शो के उद्घाटन के तुरंत बाद रक्षामंत्री और वायुसेना प्रमुख की मौजूदगी में वायुसेना और हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के बीच 83 अतिरिक्त एलसीए तेजस मार्क-1ए एयरक्राफ्ट्स का अनुबंध हुआ। एयर शो की शुरुआत में हुए फ्लाईंग-डिस्पले में भारत के स्वदेशी एयरक्राफ्ट्स और हेलीकॉप्टरों ने दुनिया को आत्मनिर्भर भारत की उड़ान का स्पष्ट परिचय दिया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के मुताबिक एयरो इंडिया शो के जरिये भारत अपने मित्र देशों को हथियारों के लिए नेट-एक्सपोर्टर बनना चाहता है। एयरोस्पेस क्षेत्र में भारत के बढ़ते दबदबे का ही असर है कि अब ‘मेक इन इंडिया’ के तहत दुनिया की हर बड़ी कम्पनी भारत में ही हथियारों का निर्माण करना चाहती है।
हर दो साल में एकबार होने वाले एशिया के सबसे बड़े एयरो शो में भारतीय वायुसेना की एयरोबैटिक टीम सूर्यकिरण ने उद्घाटन समारोह के अवसर पर प्रदर्शन करने के अलावा अगले दिन भी प्रदर्शन किया और वायुसेना के लड़ाकू विमान राफेल तथा सुखोई ने भी बेंगलुरू के येलहंका एयरबेस पर उद्घाटन समारोह में गरजते हुए उड़ान भरी। एयरो शो के दौरान वायुसेना के हल्के लड़ाकू विमान तेजस के अलावा हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर रूद्र ने भी अपना दमखम दिखाया। वायुसेना के सुखोई-30 एयरक्राफ्ट ने दो जगुआर और दो हॉक एयरक्राफ्ट्स के साथ एक फॉर्मेशन में एयरबेस के ऊपर आसमान में प्रदर्शन किया। इसके अलावा वायुसेना के सांग हेलीकॉप्टर तथा एक सूर्यकिरण एयरोबैटिक टीम एयरक्राफ्ट ने भी एयर शो के दौरान प्रदर्शन दिखाया। ‘नेत्र’ के आकार में उड़ान भरने वाले विमानों ने डीआरडीओ की पूर्व चेतावनी एवं निगरानी प्रणली की क्षमता दिखाई।
एयरो शो के दौरान आसमान में स्वदेशी एयरक्राफ्ट्स छाए रहे। एचएएल की ओर से कई स्वदेशी एयरक्राफ्ट्स और हेलीकॉप्टरों ने आत्मनिर्भर भारत की बढ़ती ताकत का दुनिया को अहसास कराया। एयरो शो में जहां रूस की सहायता से भारत में ही तैयार किए जा रहे सुखोई लड़ाकू विमान आसमान में गरजते दिखाई दिए, वहीं ‘आत्मनिर्भर फ्लाइट फॉर्मेशन’ के तहत एलसीए-ट्रेनर (लिफ्ट-ट्रेनर), एचटीटी-40, आईजेटी, एडवांस हॉक एमके-132 तथा सिविल डोरनियर (डो-228) के ट्रेनर एयरक्राफ्ट्स एक विशेष फॉर्मेशन में उड़ान भरते दिखाई दिए। एयरो इंडिया शो में एचएएल के ‘आत्मनिर्भर’ विमान दस्ते को पेश करने का उद्देश्य प्रशिक्षण क्षेत्र में देश की बढ़ती ताकत को प्रदर्शित करना था। डीआरडीओ ने भी अपने 300 से ज्यादा उत्पाद और तकनीकें दुनिया के सामने पेश की। एयरो शो में स्वदेशी लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट एलसीए-तेजस, एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर ‘ध्रुव’, लाइट कॉम्बेट हेलीकॉप्टर, लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर, एचटीटी-40 ट्रेनर एयरक्राफ्ट ने भी अपनी जांबाजी के जौहर दिखाए। अमेरिका के लंबी दूरी के लड़ाकू विमान दस्ते की रीढ़ माने जाने वाले ‘बी-1बी लांसर एयरक्राफ्ट’ ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया, जिसे अमेरिका के दक्षिण डकोटा के एयरबेस से उड़ान भरकर बेंगलुरू तक आने में 26 घंटे का समय लगा। भारतीय सरजमीं को छूने वाला यह पहला अमेरिकी लड़ाकू विमान बना।
इस शो के दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दुनिया को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि भारत ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत अपनी रक्षा उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में तत्पर है और अपनी रक्षा के लिए अब दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रह सकता। उनके मुताबिक भारत की सामयिक स्वायत्तता को बनाए रखने के लिए रक्षा उपकरणों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करना जरूरी है और विश्व ने भारत को अब एक भरोसेमंद रक्षा निवेश गंतव्य के रूप में मान्यता देना शुरू कर दिया है। पिछले दिनों हिंद महासागरीय क्षेत्र (आईओआर) के देशों के रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए भी रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का कहना था कि भारत आईओआर के देशों को मिसाइल तथा इलैक्ट्रॉनिक युद्धक प्रणाली सहित विभिन्न हथियार प्रणालियों की आपूर्ति करने के लिए तैयार है।
देश के आकाश को सुरक्षित रखने और सुरक्षा को मजबूत रखने के लिए वायुसेना के पायलटों के योगदान और बहादुरी की सराहना करते हुए एयरो इंडिया शो के समापन के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस शो को अभूतपूर्व सफल करार देते हुए कहा था कि बेंगलुरू में द्विवार्षिक एयर शो वैश्विक स्तर पर रक्षा एवं एयरोस्पेस क्षेत्र में भारत के निरन्तर ताकतवर होने का जीता जागता प्रमाण है। उनके मुताबिक इस आयोजन ने प्रदर्शित किया है कि देश की क्षमताओं को लेकर वैश्विक भरोसा धीरे-धीरे बढ़ रहा है और यह आयोजन रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता को मजबूत करने के साथ ही देश को विश्व के लिए विनिर्माण देश के रूप में स्थापित करने की दिशा में अहम भूमिका निभाएगा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved