पदाधिकारी बोले-तुम नहीं करोगे तो और कोई करेगा
इंदौर। भाजपा में शुरू हुए आजीवन सहयोग निधि इकट्ठा करने के अभियान में दिए गए टारगेट को लेकर बूथ अध्यक्ष पीछे हट रहे हैं। एक बूथ को 50 हजार रुपए की राशि इकट्ठा करने का टारगेट दिया गया है। विधानसभा स्तर पर हो रही बैठकों में बूथ अध्यक्षों ने अब आवाज उठाना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि 50 हजार रुपए की राशि वे कैसे इकट्ठा कर पाएंगे? इस पर पदाधिकारियों ने दो टूक कह दिया कि तुम नहीं करोगे तो कोई और करेगा।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय के पुण्य स्मरण दिवस को भाजपा समर्पण दिवस के रूप में मनाती है और इस दिन आजीवन सहयोग निधि के रूप में राशि इकट्ठा कर संगठन को भेजती है, जिससे सालभर पार्टी के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस बर इंदौर नगर को 5 करोड़ का भारी-भरकम टारगेट दिया गया है, जबकि पिछले साल 1 करोड़ का टारगेट था और नगर अध्यक्ष रहे गोपी नेमा ने 4 लाख रुपए ज्यादा कर 1 करोड़ 4 लाख रुपए पार्टी के खजाने में जमा किए थे। अब इस टारगेट को 5 गुना कर दिया है तो पार्टी के नेताओं के हाथ-पांव फूल गए हंै, लेकिन सामने कहा जा रहा है कि ये लक्ष्य भी पूरा कर लिया जाएगा। हालांकि पार्टी के स्थानीय नेता भी अंदर ही अंदर भारी-भरकम टारगेट को लेकर एकमत नहीं हैं। उनका कहना है कि कोरोना ने हर व्यक्ति को आर्थिक तौर पर प्रभावित किया है और अभी राम मंदिर निर्माण के लिए समर्पण राशि जुटाने का अभियान समाप्त नहीं हुआ है। ऐसे में अब आजीवन सहयोग निधि मांगने जाएंगे तो कोई नहीं देगा। हालांकि भाजपा ने इसे बूथ स्तर पर जुटाने का टारगेट दिया है और एक बूथ से 50 हजार रुपए इकट्ठा करने के लिए कहा है। इसको लेकर विधानसभा में मंडल स्तर के पदाधिकारियों को बुलाकर टारगेट सौंपे जा रहे हैं। बूथ अध्यक्षों का दबी जुबान में कहना है कि एक बूथ से 50 हजार रुपए कैसे इकट्ठा होंगे? ऐसे बूथ अध्यक्षों को पदाधिकारियों द्वारा कहा जा रहा है कि अगर आप लोग इकट्ठा नहीं कर सकते तो आपके स्थान पर और भी लोग आना चाहते हैं, वे राशि जुटाकर दे देंगे। कल विधानसभा 1 में भी बैठक हुई, जिसमें संभागीय संगठन मंत्री जयपालसिंह चावड़ा, नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे, प्रभारी जीतू जिराती, पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता, गोलू शुक्ला, निरंजनसिंह चौहान, कमल वाघेला, संदीप दुबे, उमाशशि शर्मा सहित कई प्रमुख नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे। इस बैठक में भी कुछ बूथ अध्यक्षों ने टारगेट कम करने को लेकर अपनी बात रखी, लेकिन बड़े नेताओं के आगे उनकी एक न चली।
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