नई दिल्ली। बीते साल 16 सितंबर को एक दिन के भीतर देश में कोरोना के 97,894 नए मामले (Daily Covid Cases) सामने आए थे. करीब एक साल से कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे भारत के लिए यह अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है. लेकिन बीती 2 फरवरी को देश में कोरोना के सिर्फ 8635 मामले ही सामने आए. भारत में कोरोना वायरस के नए मामलों में आई जबरदस्त कमी को इसलिए कामयाबी माना जा सकता है कि कई देशों में महामारी की दूसरी और तीसरी लहर कोहराम मचा रही है.
सैनेटाइजेशन और मास्क को लोगों ने अपने जीवन में सही तरीके से अपनाया
पहला कारण ये बताया जा रहा है कि देश में सैनेटाइजेशन और मास्क को लोगों ने अपने जीवन में सही तरीके से अपनाया. कोरोना काल के दौरान के खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने जब भी सार्वजनिक संबोधन किया या लोगों के बीच गए तो वो मास्क पहने दिखे. सरकार ने मास्क न पहनने पर जुर्माना भी लगाया. जागरूकता फैलाने के लिए मीडिया प्लेटफॉर्म्स का बखूबी इस्तेमाल हुआ. नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च द्वारा राजधानी दिल्ली में किए गए सर्वे में 95 प्रतिशत लोगों ने कहा कि जब भी वो घर से निकलते हैं तब मास्क जरूर पहनते हैं.
मौसम का प्रभाव
दूसरा कारण भारत के मौसम को भी माना गया. कहा जा रहा है कि देश में गर्म और आर्द्र मौसम की वजह से वायरस उतनी रफ्तार से फैल नहीं पाया. एनपीआर की रिपोर्ट में ऐसे कई वैज्ञानिक लेखों का जिक्र किया गया है जिनमें गर्म और आर्द्रता भर मौसम में वायरस के कम फैलने की संभावना का जिक्र किया गया.
अच्छी कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग
तीसरा कारण अच्छी कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग को भी बताया जा रहा है. एक सर्वे के मुताबिक पंजाब में 76 प्रतिशत मरीज किसी भी दूसरे व्यक्ति को संक्रमित नहीं कर पाए. इसके अलावा देश के कई राज्यों में कॉटैक्ट ट्रेसिंग की शानदार प्रक्रिया अपनाई गई. साथ ही केंद्र सरकार के ऐप आरोग्य सेतु की वजह से भी लोग आस-पास के संक्रमितों से सावधान हुए.
युवा आबादी का भी रहा प्रभाव
देश की अपेक्षाकृत युवा आबादी को भी कोरोना के कम प्रभाव का कारण माना जा रहा है. भारत में महज 6 फीसदी आबादी 65 की उम्र से अधिक की है. आधे से ज्यादा आबादी 25 साल से कम उम्र लोगों की है.
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