भोपाल/नई दिल्ली । नए कृषि कानूनों (Farm Laws) को रद्द करने की मांग को लेकर जहां किसान आंदोलन ने केन्द्र सरकार की नींद उड़ा रखी है, वहीं अब राजनीतिक घेरेबंदी भी सरकार की परेशानी बढ़ा रही है. शुक्रवार को राज्यसभा में कृषि कानूनों को लेकर भाजपा और कांग्रेस में आमने सामने तीखी बहस हुई. राज्यसभा सांसद और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर (Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) को लेकर कहा कि उन्हें किसानी की जानकारी ही नहीं है. दिग्विजय ने कहा,’प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों के साथ बात करने के लिए दो मंत्री लगाए हैं. नरेंद्र सिंह तोमर जिनके पास खेती ही नहीं तो वो किसानी क्या जानते होंगे. दूसरे पीयूष गोयल जो कॉर्पोरेट सेक्टर के प्रवक्ता हैं. दोनों ही मंत्री किसानी को लेकर अनुभवहीन हैं और यह कृषि कानून पर कैसे किसानों को संतुष्ट कर सकते हैं.’
किसान आंदोलन के मसले पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह खून से खेती कर सकती है. इस पर जवाब देते हुए दिग्विजय सिंह ने भाजपा पर आरोप लगा दिया कि वह हमेशा दंगे कराना चाहती है. जबकि कृषि कानून की पुरजोर खिलाफत करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि खून से खेती करना कांग्रेस का इतिहास नहीं रहा है. जो गोधरा में हुआ वो पानी की खेती थी या खून की खेती थी. भाजपा हमेशा नफरत और हिंसा की राजनीति करती आई है. कांग्रेस सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलती आई है. राज्यसभा में दोनों ही नेताओं के बीच इस मुद्दे पर तीखी बहस हुई. दिग्विजय सिंह ने खून से खेती वाले तोमर के बयान के जवाब में यह तक कह दिया कि अगर ये सांप्रदायिक दंगे कराएंगे तभी इनको फायदा होगा. यही कारण है कि ओवैसी और भाजपा के बीच अच्छी दोस्ती है.
कृषि कानून पर हमलावर है कांग्रेस
केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानू को लेकर किसानों से लेकर राजनीतिक घेरा बंदी जारी है. कांग्रेस भी सरकार को कृषि कानून पर लगातार घेर रही है. पंजाब से शुरू हुए इस आंदोलन ने जब से दिल्ली के बॉर्डर सील कर रखे है, तब से कांग्रेस ने खुद किसानों के साथ खड़े होने की घोषणा की है. राहुल गांधी लगातार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर किसान विरोधी होने का आरोप लगा रहे हैं. एक दिन पहले ही प्रियंका गांधी 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड में ट्रैक्टर पलटने से किसान की मौत के बाद उसके घर पहुंची थीं. इससे उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल देखी गई. अब कृषि कानून को लेकर भाजपा और कांग्रेस आमने सामने खड़ी हो गई है.
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