पन्ना । पन्ना (Panna) में लोकायुक्त पुलिस की कार्यवाही जारी है । एक माह के अंदर शुक्रवार को दूसरी कार्यवाही करते हुए जिला चिकित्सालय में पदस्थ सर्जन डॉक्टर को ऑपरेशन के नाम पर चार हजार रिश्वत लेते हुए रंगे हांथों गिरफ्तार किया गया।
विदित हो कि अभी लगभग 15 दिन पूर्व अजयगढ़ (Ajaygarh) तहसीलदार उमेश तिवारी को भी लोकायुक्त पुलिस ने रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि जिले में लगभग 20-25 वर्षो से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में भ्रष्टाचार का केंद्र बने हुए जिला पंचायत एवं जनपद पंचायत में बैठे असली सरगना भ्रष्ट अधिकारी अभी तक पकड़ से बाहर हैं। जिसको लेकर जिले भर में तरह तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म हैं। यहां तक चर्चाएं हैं कि लोकायुक्त से भी सांठ-गांठ होने के कारण बचते जा रहे हैं।
जानकारी के अनुसार लोकायुक्त सागर के उप पुलिस अधीक्षक राजेश खेड़े ने जानकारी देते हुए बताया कि फरियादी मुकेश कुशवाहा निवासी ग्राम सकतपुरा तहसील अमानगंज द्वारा शिकायत की गई थी कि फिशर बीमारी का ऑपरेशन करने के लिए डॉक्टर गुलाब तिवारी द्वारा उनसे 5 हजार रुपये की रिश्वत मांगी जा रही है। शिकायत सही पाए जाने पर शुक्रवार को उन्हें 4 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया है।
श्री खेड़े ने बताया कि आरोपित चिकित्सक के विरुद्ध भ्रष्टाचार विरोधी अधिनियम की धारा 7 के तहत कार्यवाही की जा रही है। जानकारी के मुताबिक फरियादी मुकेश कुशवाहा लगभग 15 दिन पहले पाइल्स की बीमारी के चलते जिला चिकित्सालय में इलाज के लिए भर्ती हुए थे। जिसका इलाज जिला चिकित्सालय पन्ना के सर्जन डॉक्टर गुलाब तिवारी कर रहे थे। बताया गया है कि फरियादी मुकेश कुशवाहा के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी योजना के तहत गरीबों को इलाज के उद्देश्य से बनाए गया आयुष्मान कार्ड भी था, जिसे फरियादी ने अपने इलाज के लिए लगाया भी था। बावजूद इसके डॉक्टर द्वारा आपरेशन के लिए रिश्वत मांगी जा रही थी।
एक माह के भीतर ट्रैप की यह दूसरी कार्यवाहीः-
पन्ना जिले में रिश्वतखोरी की जड़ें इस कदर फैल चुकी हैं कि अब भगवान कहे जाने वाले चिकित्सक भी इसकी चपेट में आ चुके हैं। एक माह के भीतर रिश्वत लेने के मामले में लोकायुक्त पुलिस की टीम ट्रैप की यह दूसरी कार्यवाही की है। मालूम हो कि इसके पूर्व अभी हाल ही में 20 जनवरी को प्रभारी तहसीलदार अजयगढ़ उमेश तिवारी को लोकायुक्त पुलिस ने एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। इसके वावजूद भृष्ट अधिकारी व कर्मचारी सबक लेने को तैयार नहीं हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि अच्छी खासी सम्मानजनक वेतन पाने वाले लोगों की नियत भी चंद रुपयों के लिए डोल जाती है। पन्ना जिले में रिश्वतखोरी के आरोप में संभवतः पहली बार किसी डॉक्टर पर ऐसी कार्यवाही की गई है। एजेंसी
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