बेंगलुरु । हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के सीएमडी आर माधवन ने कहा है कि लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) मार्क एमके-1ए के लिए दक्षिण पूर्व एशिया और मध्य पूर्व के देशों ने दिलचस्पी दिखाई है और जल्द ही एक अनुबंध होने की उम्मीद है। भारत से हुए अनुबंध के अनुसार हमें आज से 36 महीने बाद एलसीए तेजस की डिलीवरी शुरू करनी है। पहली डिलीवरी मार्च, 2024 में 2 विमानों से शुरू की जाएगी, जिन्हें 16 तक आगे बढ़ाया जाएगा। सभी 83 तेजस 6 साल में एचएएल भारतीय वायुसेना को सौंप देगा।
एचएएल प्रमुख माधवन ने गुरुवार को एयरो इंडिया-2021 के दौरान प्रेस वार्ता में कहा कि लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) मार्क एमके-1ए के लिए दक्षिण पूर्व एशिया और मध्य पूर्व के देशों ने दिलचस्पी दिखाई है और जल्द ही एक अनुबंध होने की उम्मीद है। एचएएल प्रमुख ने यह भी स्पष्ट किया कि 114 लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए वायुसेना की योजना एलसीए वेरिएंट से अलग है। दोनों में कोई टकराव नहीं है, इसलिए दोनों परियोजनाएं स्वतंत्र रूप से जारी रहेंगी।
माधवन ने कहा कि तेजस लड़ाकू विमानों की निर्यात कीमत और लागत के बारे में एक सवाल के जवाब में कहा कि 83 तेजस लड़ाकू विमानों की अनुबंध लागत लगभग 48 हजार करोड़ रुपये है, अगर सभी तरह के टैक्स और विदेशी मुद्रा में वृद्धि घटा दी जाए तो यह डील 36 हजार करोड़ रुपये के आसपास आ जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग तेजस एमके-1ए के एक विमान की कीमत 48 हजार करोड़ रुपये के आधार पर कर रहे हैं जो पूरी तरह गलत है। दरअसल 83 एलसीए के लिए कुल ऑर्डर की लागत लगभग 25,150 करोड़ रुपये है।
इस सौदे के बारे में माधवन ने कहा कि इसमें सीमा शुल्क लगभग 9,200 करोड़ रुपये और 11,000 करोड़ रुपये अन्य पुर्जों, जमीनी उपकरण, प्रशिक्षण सहायता और मैनुअल के लिए है। उन्होंने साफ़ किया कि इस तरह टैक्स, ट्रेनिंग, ग्राउंड इक्विपमेंट को हटाकर प्रति सिंगल सीटर विमान की कीमत 309 करोड़ रुपये और ट्रेनर विमान की कीमत 280 रुपये होगी। यह अत्यधिक प्रतिस्पर्धी मूल्य है, इसलिए निर्यात किये जाने वाले विमानों की भी यही कीमत रखी जाएगी। अन्य देशों ने भी इस लागत को किफायती मानते हुए कहा है कि यह कीमत 4.5 पीढ़ी के विमान के लिए सबसे सस्ती पेशकश है।
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