भोपाल। भाजपा मध्य प्रदेश में होने वाले नगरीय निकाय चुनावों में युवा चेहरों पर दांव लगाने की तैयारी कर रही है। साथ ही पार्टी ने तय किया है कि प्रदेश की सोलह बड़े शहरों की नगर सरकार में अधिक से अधिक युवाओं का योगदान होना चाहिए। बता दें कि भाजपा ऐसे ही नहीं यह दांव खेलने जा रही है, ज्ञात हो कि राज्य में 5.34 करोड़ वोटर में से 2.75 करोड़ से ज्यादा वोटर युवा हैं। जिनमें से 20 से 29 की उम्र के 27.38 प्रतिशत की तो वहीं, 30 से 39 की उम्र के 25.58 प्रतिशत की भागीदारी चुनावों में होती है। ऐसे में मंडल अध्यक्ष के चयन का फार्मूला पार्षदों के उम्मीदवारों के लिए लागू करने का निर्णय लिया गया है।
आगामी विधानसभा चुनाव पर नजर
गौरतलब है कि प्रदेश में सभी भाजपा के मंडल अध्यक्षों की आयु 35 से 40 साल के बीच है। साथ ही प्रदेश के सभी महामंत्रियों को उम्मीदवार चुनने का भार सौंपा गया है। वहीं राजनीतिज्ञ इसे भाजपा की बड़ी तैयारी बता रहे हैं। उनका मानना है कि भोपाल युवाओं पर दांव खेलने के साथ ही आने वाले विधानसभा व लोकसभा चुनावों से पहले युवाओं को अपने साथ लाने की बड़ी तैयारी कर रही है। सिंधिया खुद को युवा नेतृत्व के तौर पर पेश कर रहे हैं, तो प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा अपने कार्यकाल में पार्टी की सत्ता वापसी, उपचुनाव में भारी जीत और कांग्रेस में लगातार सेंध से मजबूत हुए हैं। जिलाध्यक्षों की बैठक में प्रदेश संगठन ने साफ किया है कि, इस बार नगरीय निकाय चुनावों में निर्विवाद छवि और सक्रिय युवा चेहरों को प्राथमिकता दी जाएगी। पांचों प्रदेश महामंत्री, हर जिले में जाकर युवाओं को प्राथमिकता देने का मंडल स्तर से फीडबैक ले रहे हैं और जातीय समीकरण के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। सभी महामंत्री 10 फरवरी से पहले अपनी विस्तृत रिपोर्ट संगठन को सौंप देंगे। गौरतलब है कि प्रदेश में 16 नगर निगम, 98 नगरपालिका और 294 नगर परिषद के चुनाव प्रस्तावित हैं। संभावना है कि मार्च के पहले सप्ताह में नगरीय निकाय चुनाव की आचार संहिता लागू हो जाएगी। इसे ध्यान में रखकर ही बीजेपी अपनी रणनीति पर काम कर रही है।
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