अग्निबाण एक्सक्लूसिव… 100 करोड़ की रेलीज इंडिया की जमीन के साथ लोक परिसम्पत्ति पोर्टल पर आधा दर्जन से अधिक जमीनों की हो गई प्रविष्टि
इंदौर, राजेश ज्वेल।
सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे, अतिक्रमण, विवादों के निराकरण और प्रबंधन के लिए लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग ही बना दिया है, जिसके तहत एक पोर्टल भी तैयार किया गया, जिसमें इंदौर सहित प्रदेशभर की नीलाम योग्य जमीनों का विवरण दर्ज किया जा रहा है, ताकि खुले बाजार में इन जमीनों की नीलामी की जा सके। इंदौर में आधा दर्जन से अधिक ऐसी सरकारी जमीनें अभी तक प्रशासन ने चिन्हित की है, जिन्हें नीलाम किया जाएगा। इसमें रेसीडेंसी एरिया की चर्चित रेलीज इंडिया की 50 हजार स्क्वेयर फीट से अधिक जमीन भी शामिल है, जिसका बाजार मूल्य ही 100 करोड़ रुपए से अधिक है। सालों पहले सुप्रीम कोर्ट से प्रशासन इस जमीन पर दावा जीत चुका है।
प्रदेश में नए नजूल नियम भी लागू किए गए हैं, जिसके चलते लोक परिसम्पत्तियों के युक्तियुक्त प्रबंधन के संबंध में निति तैयार की गई है। पिछले दिनों मुख्य सचिव इकबालसिंह बेस ने सभी वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र भेजकर निर्देश दिए थे कि सरकारी सम्पत्तियों के व्यवसायिक और अन्य विकल्पों का मूल्यांकन किया जाए, ताकि अनुपयोगी सरकारी जमीनों को बेचकर अतिरिक्त राजस्व एकत्रित किया जा सके। इसमें शासन के सभी विभागों, एजेंसियों के आधिपत्य में जो महत्वपूर्ण सरकारी जमीनें हैं, उनका किस तरह से उपयोग किया जा सकता है, अगर ये जमीनें किसी प्रोजेक्ट या नवीन अदोसंरचना के विकास में काम आ सकती है तो उनका समुचित उपयोग किया जाए और ऐसी सम्पत्तियां, जिनका सरकारी उपयोग नहीं हो पा रहा है, तो उन्हें नीलाम कर शासन को अतिरिक्त वित्तीय आय हासिल की जा सकती है, जिसके चलते स्टेट असेट रजिस्टर भी तैयार किया जाएगा, जिसके पहले चरण में संबंधित विभागों की परिसम्पत्तियों का चिन्हांकन होगा और इसके लिए एक अलग से पोर्टल भी तैयार किया गया है। इंदौर जिले में आधा दर्जन से अधिक सरकारी जमीनें चिन्हित की गई हैं, जिन्हें इस पोर्टल पर दर्ज भी कर दिया है और आने वाले दिनों में खुले बाजार में इनकी नीलामी की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसमें सबसे महत्वपूर्ण और बेशकीमती जमीन रेसीडेंसी एरिया की है, जो कि रेलीज इंडिया के नाम से चर्चित है। कुछ वर्ष पूर्व सुप्रीम कोर्ट से भी शासन-प्रशासन जीत चुका है और इस जमीन की कीमत ही 100 करोड़ रुपए से अधिक है। वहीं मल्हारगंज, गाडऱाखेड़ी निपानिया, पिपल्याहाना से लेकर अन्य क्षेत्रों में भी इस तरह की जमीनें चिन्हित की गई है। ऑनलाइन ही इन जमीनों को नीलाम करेंगे और जो सबसे ऊंची बोली लगाएगा उसे ये सरकारी जमीन सौंप दी जाएगी।
नए नजूल नियमों के तहत बनाया अलग विभाग
प्रदेश में नए नजूल नियम लागू कर दिए गए हैं, जिसके परिपालन के लिए पिछले दिनों कलेक्टर मनीष सिंह ने राजस्व अमले को प्रशिक्षण भी दिलवाया। पूर्व के सारे राजस्व से संबंधित सर्कुलर निरस्त कर दिए हैं और लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग की वेबसाइट बनाकर अलग से एक पोर्टल भी तैयार किया गया है। लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग अलग से ही बना दिया गया है, जो कि मध्यप्रदेश सडक़ विकास निगम के अधीन रहेगा और इसके प्रबंध संचालक श्रीमन शुक्ला ने पिछले दिनों सभी अधिकारियों को नई वेबसाइट और पोर्टल पर लोक परिसम्पत्तियों के विवरण को दर्ज करने की जानकारी भी दी, ताकि आने वाले समय में इनकी नीलामी की प्रक्रिया शुरू की जा सके। अभी प्रदेश के कई जिलों की सम्पत्तियों की ऑनलाइन बिक्री की प्रक्रिया नए विभाग ने शुरू भी कर दी है।
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