नई दिल्ली। राज्यों में शिक्षण, सीखने और परिणामों को बेहतर बनाने की शिक्षा मंत्रालय की स्टार्स परियोजना (स्ट्रेन्दनिंग टीचिंग, लर्निंग एंड रिजल्ट्स फॉर स्टेट्स) के क्रियान्वयन को वित्तीय मदद प्रदान करने के लिए आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) और विश्व बैंक के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। स्टार्स परियोजना की कुल लागत 5718 करोड़ रुपए है। पांच वर्ष की अवधि में विश्व बैंक इसमें 50 करोड़ डॉलर (करीब 3700 करोड़ रुपए) की वित्तीय सहायता देगा। शेष राशि योजना में भागीदारी कर रहे राज्यों द्वारा राज्य अंश के रूप में दी जाएगी।
हिमाचल, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, केरल और ओडिशा योजना में शामिल
शिक्षा मंत्रालय ने बताया कि स्टार्स परियोजना शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के अन्तर्गत नई केन्द्रीय सहायता प्राप्त योजना के रूप में क्रियान्वित की जाएगी। इसके पूर्व केन्द्रीय मंत्रिपरिषद ने 14 अक्टूबर को स्टार्स परियोजना के प्रस्ताव का अनुमोदन किया था। इस परियोजना में छह राज्य हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, केरल और ओडिशा शामिल हैं। चिन्हिंत राज्यों को शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के कदमों के लिए सहायता दी जाएगी। कार्यक्रम में चुने गए राज्यों में भारतीय स्कूल व्यवस्था में समग्र निगरानी और अन्य गतिविधियों में हस्तक्षेप कर सुधार करने की परिकल्पना की गई है।
राज्य स्तर पर परियोजना का क्रियान्वन समग्र शिक्षा की समेकित राज्य क्रियान्वयन सोसाइटी के माध्यम से किया जाएगा। स्टार्स के तहत विश्व बैंक की प्रस्तावित सहायता मूलत: परिणाम-आधारित वित्तीय उपकरण के रूप में है जिसे प्रोग्रामफॉर रिजल्ट्स (पीआरआर) कहते हैं। इससे राज्य स्तर पर संवितरण से संबद्ध संकेतकों (डीएलआई) के माध्यम से प्रमुख सुधार सुनिश्चित किए जाएंगे। परियोजना में वांछित परिणामों को हासिल करने के लिए राज्यों को प्रोत्साहन अनुदान देकर प्रेरित किया जाएगा।
स्टार्स परियोजना राष्ट्रीय शिक्षा नीति की विभिन्न अनुशंसाओं को लागू करने में सहायक बनेगी जैसे कि आरंभिक बाल्यावस्था शिक्षा और आधारभूत शिक्षण, शिक्षण आकलन सुधार प्रणाली, शिक्षा में आईसीटी सहायित उपागम, शिक्षक विकास और व्यवसायपरक शिक्षा। (एजेंसी, हि.स.)
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