नागदा/उज्जैन। बेपरवाह जिम्मेदारों की लापरवाही से अपने अस्तित्व से जूझ रही एक धरोहर को समझने के लिए प्रशासन का अमला शुक्रवार को मौके पर पहुंचा।
चंबल तट नागदा जिला उज्जैन में स्थित महाभारत कालीन अवशेष से जुड़ी धरोहर को संरक्षण देने के लिए एक युवक बंटू बोडाना चंद्रवंशी के जोश एवं जुनून के आगे टीम ने मौका मुआयना किया। उचित रखरखाब व संरक्षण के लिए कदम उठाने के लिए योजना का खुलासा भी किया।
यह है इतिहास टेकरी का
मिली जानकारी के अनुसार किसी समय एक राजा की मृत्यु सर्पदंश होने से पर उसके पुत्र ने प्रतिशोध की भावना से यज्ञ किया था। इस यज्ञ में नाग संवारक आहुतियां दी गई थी। यज्ञ में सर्पो का दहन हुआ था। पोरोणिक मान्यता के अनुसार आज भी इस टेकरी में सर्प से जुड़े अवशेष आदि मिलते हैं। नागों का दाह होने के कारण इस शहर का नाम नागदाह पड़ा और अपभ्रश रूप में अब नागदा के रूप में जाना जाता है।
क्या बोले एसडीएम
एसडीएम आशुतोष गोस्वामी ने हिंस संवाददाता से बातचीत में बताया टेकरी का अवलोकन किया गया। बंटू बोडाना की कार्यवाही पर टेकरी पर पहुंचे थे। इस टेकरी से जुड़ी भूमि का सीमांकन किया जाएगा। बाद में नपा इस धरोहर को विकसित करने का प्रयास करेगी।
बंटू ने संघर्ष को बयां किया
बटूं बोडाना ने हिंदुस्थान समाचार संवाददाता को बताया टेकरी के संरक्षण के लिए उन्होंने सूचना का अधिकार का उपयोग किया। दर्जनों आरटीआई पुरातत्व विभाग के भोपाल, इंदौर, उज्जैन व दिल्ली कार्यालय में लगाई। आरटीआई पर ही इस धरोहर की जांच लगभग चार वर्ष पहले पुरातत्व विभाग ने की थी। जिसमें यह पाया गया थाकि यह टेकरी में इतिहास विद्यमान है। शुक्रवार को प्रशासन का दल जांच के लिए आया और बताया कि संरक्षण की योजना में पहले टेकरी से जुड़ी भूमि का सीमांकन किया जाएगा। हाल में शहर के बन रहे मास्टर प्लान में भी इस धरोहर को विकसित करने की मांग का आवेदन प्रस्तुत किया है।
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