भोपाल। पदोन्नति में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने से परेशान पुलिसकर्मियों को जल्द ही बड़ी राहत मिल सकती है। गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने पुलिस अधिनियम 1972 में संशोधन करने पर सहमति जताई है। उन्होंने कहा कि मार्च तक इस संशोधन को मूर्त रूप देने का प्रयास करेंगे। संशोधन के बाद निचले स्टाफ को उनसे वरिष्ठ पद का प्रभार दिया जा सकेगा। इससे पुलिसकर्मियों को वरिष्ठ पदनाम मिल जाएगा। साथ ही जांच अधिकारियों की संख्या बढऩे से अपराधों की जांच में तेजी आएगी। पुलिस मुख्यालय इस आशय का प्रस्ताव गृह विभाग को करीब दो माह पहले भेज चुका है। प्रस्ताव के मुताबिक, आरक्षक को प्रधान आरक्षक, प्रधान आरक्षक को सहायक उप निरीक्षक, सहायक उप निरीक्षक को उप निरीक्षक और उप निरीक्षक को निरीक्षक का प्रभार देने की बात कही गई है। प्रस्ताव जीरो बजट वाला है, यानी इससे सरकार पर कोई वित्तीय भार नहीं आएगा। वरिष्ठ पद का प्रभार देने पर विभाग को अतिरिक्त वेतन नहीं देना होगा, क्योंकि लंबे समय से पदोन्नत?ि नहीं होने से निचले स्तर के कर्मचारियों और अधिकारियों का वेतनमान वरिष्ठ स्तर के स्तर का हो चुका है।
इसलिए पड़ी संशोधन की आवश्यकता
पुलिस विभाग में लंबे समय से स्वीकृत बल की तुलना में करीब 20 हजार पद रिक्त हैं। जांच अधिकारी के तौर पर निरीक्षक के करीब 700 और उप निरीक्षक के 1500 पद खाली हैं। अपराधों के स्वरूप के आधार पर अलग-अलग स्तर पर जांच अधिकारी की जिम्मेदारी तय है। इनकी संख्या कम होने से कई मामलों की जांच लंबित रहती है। संशोधन के बाद प्रभारी के तौर पर नियुक्ति की जा सकेगी और लंबित मामलों की जांच में तेजी आएगी। जानकारों के मुताबिक, यह संशोधन सरकार स्तर पर किया जा सकता है। इसके लिए विधानसभा में मामला ले जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। वहीं, पदोन्नति से नहीं होने से परेशान पुलिसकर्मियों को वरिष्ठ पदनाम मिल जाएगा। मालूम हो, वर्ष 2016 से प्रदेश में पदोन्नत?ि में आरक्षण का मामला उलझा हुआ है।
मार्च तक देंगे कोविड मेडल
गृहमंत्री ने यह भी जानकारी दी कि कोरोना काल में बेहतर कार्य करने वाले पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को कोरोना मेडल भी मार्च तक प्रदान कर दिया जाएगा। इस संबंध में सरकार स्तर पर निर्णय हो गया है।
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