दोस्तों आज का दिन बुधवार है जो एक पावन दिन है और आज के दिन गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है । इसलिए आज हम इस लेख के माध्यम से लेकर आयें हैं श्री गणेश जी के बचपन की एक बाल कथा तो आइये जानतें हैं ।
आपने कान्हा जी की बाल लीलाएं सुनी होंगी पर क्या आपको पता है कि गणेश जी भी बाल लीलाओं में कान्हा जी से कम नहीं थे. गणेश (Ganesh ji)जी ने अपनी बाल लीलाओं में हमेशा समझदारी की बातें की हैं. आज हम आपको गणेश जी की समझदारी की कहानी सुनाते हैं जो आप अपने बच्चे को सुनाएंगे तो फिर से आपके बच्चे आपके लिए आज्ञाकारी बन जाएंगे.
Ganesha lord of success
एक दिन की बात है जब शिव जी के बड़े पुत्र कार्तिकेय जी ने शिव जी से कहा कि ‘मैं सबसे ज्यादा ज्ञानी हूं’ पर इतने में ही अचानक गणेश जी चले आते हैं जिन्हें देख शिव जी मुस्कुराने लगते हैं और कहते हैं कि कार्तिकेय और गणेश (Ganesh)को एक परीक्षा देनी होगी. कार्तिकेय और गणेश हैरान हो जाते हैं कि ‘परीक्षा’…..हां पिता जी जैसा आप कहें…..
शिव जी फिर से मुस्कुराने लगते हैं और कहते हैं कि तुम दोनों में सबसे ज्यादा ज्ञानी कौन है यही पता लगाने के लिए यह परीक्षा ली जा रही है. शिव जी कार्तिकेय और गणेश से कहते हैं कि तुम दोनों में से जो भी पूरे ब्रह्मांड के सात चक्कर लगाकर आएगा और वो भी सबसे कम समय में वो सबसे ज्यादा ज्ञानी माना जाएगा.
फिर क्या था कार्तिकेय जी जल्दी से बिना सोच-विचार किए पूरे ब्रह्मांड के सात चक्कर लगाने के लिए निकल पड़ते हैं पर गणेश जी पहले शिव जी की तरफ देखते हैं और फिर माता पार्वती जी की तरफ देखते हैं. फिर गणेश जी शिव जी और माता पार्वती को प्रणाम कर दोनों के साथ चक्कर लगाना शुरू कर देते हैं.
gnesha ji my frdशिव जी गणेश जी से कहते हैं कि गणेश (Ganesh) यह तुमने क्या किया है हमने तुम्हें ब्रह्मांड के सात चक्कर लगाने के लिए कहा था और तुम हमारे ही सात चक्कर लगा रहे हो. गणेश (Ganesh)जी कहते हैं कि ‘मेरे लिए मेरा पूरा ब्रह्मांड आप दोनों ही हैं फिर आप ही तो कहते हैं पिता जी कि “माता-पिता के चरणों में पूरा ब्रह्मांड होता है.”
देखा आपने गणेश जी (Ganesh ji)बचपन से ही कितने समझदार थे. इसीलिए तो शिव जी ने गणेश जी (Ganesh ji)को वरदान दिया था कि संसार में कहीं भी कोई भी शुभ कार्य होगा तो सबसे पहले गणेश जी (Ganesh ji)की आरती की जाएगी.
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