नई दिल्ली । केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ 61 दिन से ज्यादा दिनों तक शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे किसानों का आंदोलन आज हिंसक और बेकाबू हो गया। गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर रैली निकालने के दौरान किसान हिंसा पर उतर आए हैं। स्थिति यह है कि अब किसान नेता भी प्रदर्शनकारियों को समझाने में असफल साबित हुए हैं।
पुलिस प्रशासन द्वारा ट्रैक्टर रैली निकालने के लिए किसानों को अनुमति दिए जाने के बाद भी किसान आज उपद्रव पर उतर आए हैं। पुलिस द्वारा बताए गए रूट मैप को भी किसानों ने कई स्थानों पर दर किनार कर दिया। हालांकि सरकार, देश के खुफिया तंत्र और दिल्ली पुलिस को इसकी आशंका पहले से थी, इसीलिए पुलिस ने निपटने की तैयारियां भी की थीं। दिल्ली में प्रवेश के बाद किसान और पुलिस राजधानी की सड़कों पर अब आमने-सामने हैं। उधर, किसानों के उपद्रव के बीच एक भी किसान नेता सामने नहीं आ रहे हैं। यहां तक कि किसान नेताओं के मोबाइल फोन भी स्विच ऑफ हैं।
जिन कुछेक किसान नेताओं से पुलिस ने बात करने की कोशिश की, वे काफी उग्र दिखे और पुलिस की बात सुनने को तैयार नहीं हैं। किसान नेताओं की बेबसी के बाद पुलिस ने हिंसा पर उतरे आंदोलनकारियों से निपटने के लिए मोर्चा संभाल लिया है। लिहाजा दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवान किसानों को रोकने में लगे हुए हैं। शहर में गाजीपुर बार्डर, नोएडा बार्डर (अक्षरधाम मंदिर रोड), आइटीओ, सराय काले खाँ, सिंघु बार्डर, नांगलोई और टीकरी बार्डर पर हालात बदतर हो चुके हैं। फिलहाल उग्र किसान लाल किला पर पहुंच कर झंडा लहरा रहे है। हालांकि लाल किला पर बड़ी संख्या में पुलिस पहुंच चुकी है। वहां बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए उपद्रवियों को हटाने के लिए पुलिस प्रयासरत है।
हालांकि योगेंद्र यादव और राकेश टिकैत ने मीडिया के साथ बातचीत में इस तरह के उपद्रव की तीखी निंदा की है। राकेश टिकैत ने कहा कि कुछ उपद्रवियों की इस हरकत से आंदोलन कमजोर पड़ जाएगा। योगेंद्र यादव ने मीडिया के माध्यम से किसानों से पुलिस द्वारा निर्धारित रूट से ही ट्रैक्टर रैली निकालने की अपील की है।
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