काठमांडू । नेपाल के कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) को कम्युनिस्ट पार्टी (Nepal Communist Party) से हटा दिया गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक कम्युनिस्ट पार्टी के दूसरे धड़े ने केपी शर्मा ओली की सदस्यता भी रद कर दी है। पार्टी के दूसरे धड़े के प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ (Narayan Kaji Shrestha) यह जानकारी दी है। इससे पहले पीएम ओली ने पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ को पद से हटा दिया था। अभी बीते शुक्रवार को ही नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के प्रचंड धड़े ने काठमांडू में ओली सरकार के विरोध में एक बड़ी रैली निकाली थी।
रैली को संबोधित करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने कहा था कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने असंवैधानिक तरीके से संसद को भंग किया जिसके चलते संघीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को गंभीर खतरा पैदा हो गया है। ओली ने यह कदम उठाकर न केवल पार्टी के कानून और प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया है वरन नेपाल के संविधान को भी कमजोर किया है। उन्होंने यह भी कहा कि ओली ने महीनों तक चली उस शांति प्रक्रिया को भंग करने की कोशिश की जिसके चलते माओवादी मुख्यधारा की राजनीति में आए थे।
दरअसल काफी अर्से से नेपाल की सत्तारूढ़ कम्यूनिस्ट पार्टी नाटकीय घटनाक्रम से गुजर रही है। प्रधानमंत्री ओली ने संसद को भंग करके आगामी 30 अप्रैल और दस मई को मध्यावधि चुनाव की घोषणा की थी जिसे राष्ट्रपति ने मंजूर कर लिया था। मामले में याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में है। ओली के इस कदम का पार्टी के ही बड़े नेता प्रमुख पुष्प कमल दहल प्रचंड ने तगड़ा विरोध किया था। तकरार इतनी बढ़ी थी कि पार्टी दो फाड़ में टूट गई थी। इसमें से एक का नेतृत्व प्रधानमंत्री ओली तो दूसरे का नेतृत्व प्रचंड कर रहे थे।
बता दें कि दोनों राजनीतिक दलों का विलय विगत 2018 में हुआ था। नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी (यूएमएल) के अध्यक्ष ओली जबकि नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी (माओ) के प्रमुख पुष्प कमल दहल प्रचंड थे। नेपाल में गहराए सियासी संकट का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आम लोग भी ओली की मुखालफत में उतर आए हैं। काठमांडू में आए दिन प्रदर्शन हो रहे हैं और लोग संसद भंग करने के ओली के फैसले की निंदा कर रहे हैं। यही नहीं कई प्रदर्शनों में तो राजशाही को भी बहाल करने तक की मांग की गई है।
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